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अनुशासन और सहिष्णुता
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के स्थान पर पांच मंजिला मकान बनाने, पांच मंजिले के स्थान पर सात मंजिला मकान बनाने की क्षमता को विकसित करे और अधिक कमाए, और अधिक श्रम करे । यह उसका विधायक पक्ष है । मनुष्य का दृष्टिकीण पोजिटिव कम होता है, नेगेटिव अधिक । उसकी एप्रोच नेगेटिव होने के कारण वह दुःखी होता है । इससे असहिष्णुता का भाव जागता है और असहिष्णुता राहू की भांति चांद को निरंतर ग्रसित करती रहती है। सामाजिक जीवन को स्वस्थ रखने का एक उपाय है-सहना ।। ___लड़की ससुराल के लिए प्रस्थान कर रही थी। मां ने शिक्षा देते हुए कहा-बेटी ! तुम पराए घर को अपना घर बनाने जा रही हो । तीन बातों का विशेष ध्यान रखना
१. सास-ससुर को सहना, इसलिए कि कुल खंडित न हो और बहू की मर्यादा का लोप न हो।
२. देवर को सहना, इसलिए कि जो समझाने योग्य होता है उसे समझाना चाहिए, उसके साथ विद्रोह नहीं करना चाहिए।
३. नौकर को सहना, इसलिए कि क्षुद्र के साथ क्षुद्रता का व्यवहार न हो । __ सबको सहना होता है। मैं यह नहीं कहता कि अन्याय को सहना चाहिए, अपराध को सहना चाहिए। पारिवारिक या सामाजिक जीवन में व्यवहार तभी निभ सकता है जब सभी एक-दूसरे को सहन करते हों। घर का लड़का उदंड हो गया हो तो उसे सहना ही पड़ता है, अन्यथा बहुत बड़ी समस्या पैदा हो जाती है। पड़ोस के वातावरण को भी सहना पड़ता है, अन्यथा सुखपूर्वक नहीं रहा जा सकता। ___ सहिष्णुता का विकास शक्ति का विकास है। इस शक्ति के सहारे दूसरों की कमियों को भी सहा जा सकता है और दूसरों की विशेषताओं को भी सहा जा सकता है । आज अनुशासन की समस्या बहुत जटिल हो गई है क्योंकि मनुष्य असहिष्णु बन गया है। सहिष्णुता के बिना अनुशासन का विकास नहीं हो सकता । अनुशासन एक परिणाम है और सहिष्णुता की शक्ति है उसका कारण । पिता की बात पुत्र नहीं मानता क्योंकि उसमें सहने की क्षमता नहीं है । पुत्र तत्काल कह देता है-'मुझे कुछ भी कहने की जरूरत नहीं है, मैं भी आदमी हूं, वयस्क हूं, मैं भी सोचता है, आप मुझे बार-बार क्यों कहते हैं ?' अध्यापक विद्यार्थी को उसके हित की बात कहता है । विद्यार्थी तत्काल कह देता है-मास्टर साहब ! आपका काम पढ़ाना है,
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