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एकला चलो रे
दो बिल्लियों हैं। एक के सिर पर इलेक्ट्रोड लगाकर उसके भूख के केन्द्र को शांत कर दिया गया है । दोनों के सामने भोजन लाया गया। एक बिल्ली तत्काल उसे खाने लग गई और दूसरी बिल्ली शांत बैठी रही । भोजन से उसका मन विचलित नहीं हुआ, क्योंकि उसका भूख का संवेदन शांत हो चुका था । बग्दर के हाथ में केला दिया। वह खाने की तैयारी करने लगा। इतने में ही उसके सिर पर इलेक्ट्रोड लगाकर भूख के केन्द्र को शांत कर दिया । उसने तत्काल केला फेंक दिया। ___ आहार, भय, नींद, वासना, उत्तेजना-इनके उत्पत्ति-केन्द्र विद्युत् के झटके देकर शान्त कर दिये जाते हैं । विज्ञान ने इन केन्द्रों को खोज निकाला
चूहे और बिल्ली का जन्मजात विरोध है । चूहा बिल्ली से डरता है और बिल्ली चूहे को देखते ही उस पर झपटती है। दोनों के सिर पर इलेक्ट्रोड लगा दिए गए। अब न चूहा बिल्ली से डरता है और न बिल्ली चूहे पर झपटती है । चूहा बिल्ली की गोद में खेलता है। बिल्ली उसे अपने बच्चों की भांति प्यार करती है। यह व्यवहार का परिवर्तन कैसे हुआ ? इन सब प्रयोगों के आधार पर माना जा सकता है कि आदमी की आदतें बदल सकती हैं। उसका व्यवहार और आचार बदल सकता है।
प्राचीन साहित्य में यह उल्लिखित मिलता है कि वीतराग व्यक्ति के पास सिंह और बकरी एक घाट पर पानी पीने लग जाते हैं । वे अपने वैर को भूल जाते हैं। ऐसा क्यों होता है, इसकी व्याख्या वहां प्राप्त नहीं है, किन्तु आज की खोजों के बाद इसके व्याख्या-सूत्र अज्ञात नहीं रहे । हमारा सारा व्यवहार हमारी विद्युत् के द्वारा नियंत्रित होता है। हमारे शरीर में बहुत विद्युत् है । हजारी प्राण-विद्युत् और जैविक-विद्युत् हमारे आचार-व्यवहार को नियंत्रित करती है । यदि इस विद्युत् की धारा को बदला जा सके तो भावना में परिवर्तन आ जाता है । भावना के द्वारा विद्युत् में परिवर्तन आ जाता है । वीतराग व्यक्ति में से विद्युत् की ऐसी धाराएं, ऐसी रश्मियां निकलती हैं कि उसके पास आने वाले दूषित व्यक्ति की भावनाएं समाप्त हो जाती हैं, भावनाएं बदल जाती हैं और वैरभाव की वृत्ति समाप्त हो जाती है।
निकट आने वाले व्यक्ति की विद्युत् वीतराग की विद्युत् से इतनी प्रभावित होती है कि उसमें से सारा दोष निकल जाता है, भावना बदल जाती है । यह सारा विद्युत् का ही चमत्कार है।
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