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होता है तब वह केवल यही चाहता है कि उसे पैसा मिले, फिर चाहे कोई मरे या जिए ।
करुणा
एक केमिस्ट की लड़की मर गई । अनुभवी डॉक्टर ने एक इंजेक्शन दिया । उसका रिएक्शन हुआ और लड़की का प्राणान्त हो गया । मृत्यु के कारण की खीज की गई। पता चला कि इंजेक्शन नकली था । खोज आगे बढ़ी तो यह ज्ञात हुआ कि वह इंजेक्शन उसी केमिस्ट द्वारा निर्मित था । उसकी लड़की के वही इंजेक्शन लगा, रिएक्शन हुआ और वह मर गई ।
दवा में मिलावट करना क्रूरता का उत्कृष्ट उदाहरण है । क्रूरता का बहुत बड़ा कारण है— लोभ, पैसे का लोभ, संग्रह की वृत्ति । लोभ के कारण आदमी इतना क्रूर बन जाता है कि वह किसी परिणाम की चिन्ता नहीं
करता ।
प्रत्येक आदमी यह अनुभव करता है कि आज व्यक्ति के चरित्र का पतन हुआ है, अनैतिकता बढ़ी है। यह भी स्वीकृत तथ्य है कि है कि इनके बढ़ने का सबसे बड़ा कारण है— पैसे का लोभ ।
कुछ लोग गरीबी को इसका मूल कारण मानते हैं, किन्तु यह सच नहीं है। गरीबी ने उतनी अनैतिकता नहीं बढ़ाई जितनी पैसे के लोभ ने बढ़ाई है । यह भी बहुत स्पष्ट है कि धनी व्यक्ति जितना अनैतिक आचरण करते हैं, गरीब आदमी उतना अनैतिकता आचरण नहीं करते । गरीब के पास अनैतिकता आचरण के उतने साधन भी नहीं हैं जितने साधन धनी व्यक्ति के पास हैं । धनार्जन के जितने बड़े स्रोत या साधन होंगे, आदमी उतना ही अनैतिक होगा । गरीब आदमी के पास कहां हैं धन के इतने स्रोत ? कहां हैं इतने साधन ? उसके साधन सीमित हैं । उस सीमा में ही वह अनैतिक आचरण करता है ।
इसका फलित यह है कि क्रूरता का सबसे बड़ा कारण है— लोभ, धनार्जन की अति आकांक्षा या संग्रह की वृत्ति । प्रश्न है कि क्या क्रूरता को मिटाया जा सकता है ? क्या इसका विसर्जन किया जा सकता है ? क्या इसका कोई उपाय है ? हम समस्या को जानते हैं । हमें उसके निराकरण को भी जानना होगा । समस्या का अन्त तब तक नहीं होता जब तक हम उसके निराकरण का सही उपाय नहीं जानेंगे । समस्या है तो उसके निराकरण का उपाय भी है । उपाय वही होता है जो मूल को छूता है । सहायक कारण अनेक हो सकते हैं, पर उनसे मूल समस्या का अन्त नही होता ।
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