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एकला चलो रे
____मैं इस चर्चा को सम्पन्न करना चाहता हूं एक घटना के साथ । घटना -विदेश की है । किन्तु अच्छी बात कहीं की हो, हमारे लिए स्वीकार्य होनी चाहिए । एक बहुत बड़े राजनेता ने यह घटना सुनाई थी कि एक भारतीय व्यक्ति लन्दन में था और वह जिस घर में ठहरा हुआ था उसका मालिक दूध-वितरण का काम करता था । एक दिन उसकी लड़की बहुत उदास थी। भारतीय मित्र ने पूछा-बहन ! आज इतनी उदास क्यों हो? वह बोलीक्या करू, आज दूध की सप्लाई तो पूरी करनी है और मेरे पास आज दूध कम है। बड़ी चिन्ता हो रही है कि मैं सप्लाई कैसे कर पाऊंगी? यह क्या कोई समस्या है भारतीय के लिए ? समस्या जैसी बात ही नहीं । उसने कहा
-'इतनी चिन्तित और इतनी उदास क्यों? ऐसी क्या बात है, हिसाब लगाया कि इतना ही तो कम है । और तुम्हारे पास तो इतना ढेर मन दूध है, उसमें इतना-सा पानी मिला दो, तुम्हारी बात पूरी हो जाएगी। समस्या पूरी हो जाएगी।' उसने सुना। उसका सिर ठनका। वह अपने पिता के पास गई, -जाकर बोली-~-पिताजी ! किस राक्षस को अपने घर में स्थान दे रखा है ? वह तो राक्षस है, आदमी नहीं है । ऐसी बुरी सलाह देता है कि दूध में पानी मिला दो । क्या मैं दूध में पानी मिलाकर अपने राष्ट्र के नागरिकों के स्वास्थ्य के प्रति अन्याय करू ? ऐसी बुरी सलाह देने वाले को अपने घर से निकाल दो। ___ कल्पना करें, क्या स्थिति थी। कहा गया था कि दुनिया के लोग हिन्दुस्तान में आये और यहां के अग्रजन्मा विद्वान से आचार सीखकर गये । क्या हम आज उस पुरानी बात को दुहरा सकते हैं___'एतद्देशप्रसूतस्य, शकासादग्र जन्मनः ।
स्वं स्वं चरित्रं शिक्षेरन, पृथिव्यां सर्वमानवाः ॥' आज क्या शिक्षा मिलेगी, बड़ी विचित्र स्थिति है। इस दृष्टि से हमें पुनर्विचार करने की जरूरत है। केवल आप लोगों के लिए ही नहीं कह रहा हूं कि केवल पुलिसकर्मी ही विचार करें, पूरे समाज की दृष्टि से चिन्तन प्रस्तुत कर रहा हूं कि समूचे समाज को आज पुनर्विचार की जरूरत है । यदि पुनर्विचार नहीं हुआ इस विषय पर तो अप्रामाणिकता, पारस्परिक अविश्वास
और अनैतिकता मनुष्य जाति को भयंकर संकट में डाल देगी, जिससे उबरना -उसके लिए असंभव हो जाएगा। अनैतिकता, अप्रामाणिकता समाज का सबसे बड़ा संकट होता है । आर्थिक संकट उतना भीषण नहीं होता, जितना संकट समाज की अनैतिकता का होता है । इस दृष्टि से, सामाजिक स्वास्थ्य की दृष्टि से हम प्रामाणिकता के पहलू पर पुनर्विचार करें।
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