________________
एकला चलो रे
दोनों ने ऐसा समझौता कर लिया आदमी सो गया। बन्दर पहरा दे रहा है, जागरूक है । आदमी तो सो रहा है, बन्दर जाग रहा है।
चीता बोला-'बन्दर ! तुम भी बन के प्राणी हो, मैं भी वन का प्राणी हूं। हम दोनों वन के प्राणी हैं। आदमी से हमारा क्या सम्बन्ध ? कोई सम्बन्ध नहीं । और देखो, आदमी बड़ा धूर्त होता है । यह जो व्यवहार करता है, बड़ा विश्वासघाती होता है। मेरी बात मानो, धक्का देकर इसको नीचे गिरा दो।' ... बन्दर ने कहा-'मैं ऐसा विश्वासघात नहीं कर सकता। मैंने वचन दिया है । मैंने आत्मविश्वास दिया है । इसको मैं नहीं गिराऊंगा और विश्वासघात नहीं करूंगा।' - चीते ने बहुत प्रयत्न किया, पर बन्दर अपनी बात पर अडिग रहा और सोचा कि जिसके साथ मैत्री कर ली, उसके साथ ऐसा जघन्य कार्य कैसे कर सकता हूं। आदमी सोता रहा, चीता भी प्रतीक्षा करता रहा।
- आखिर बारी आयी मनुष्य की। बन्दर नींद लेने लगा और आदमी बैठा है। चीता बोला-देखो आदमी ! तुम अब जंगल में कैद हो और अब जंगल से शहर में तुम पेड़ को छोड़कर जा नहीं सकते। मैं यहां से सरकंगा नहीं। आखिर तुम्हें भूखे मरना है और मर जाओगे । बन्दर तुम्हारा क्या लगता है। यह तो जंगल का प्राणी है। आखिर बन्दर ही तो है। तुम्हारा कुछ लगता नहीं । अगर तुम मेरी बात मानो, बन्दर को नीचे गिरा दो तो तुम्हें नहीं मारूंगा, तुम कुशल-क्षेम से घर जा सकोगे।' तर्क समझ में आ गया । मनुष्य ने सोचा-'तर्क बहुत अच्छा है ।' आदमी का यह तार्किक दिमाग ऐसा होता है जो तर्क को पकड़ लेता है। बुद्धिमान आदमी था। बन्दर तो इतना बुद्धिमान नहीं था। तर्क समझ में आ गया। अगर चीता दो-तीन दिन यहां बैठा रहा तो भूखे मर जाऊंगा । नीचे उतरने की बात ही किसको है। बिना खाये ही मर जाऊंगा। बड़ी समस्या है, यह हटेगा नहीं। बन्दर मेरा क्या लगता है। यह भी तो एक जंगली जानवर है। इसे नीचे गिरा दूं । आदमी बन्दर को धक्का देने लगा। आखिर बन्दर तो बन्दर ही था । जागा, जागते ही देखा कि आदमी तो मुझे नीचे गिरा रहा है। तत्काल एक शाखा से दूसरी शाखा पर, एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर गया और जाकर बोला-आदमी, नमस्कार ! तेरे-जैसे धूर्त व्यवहार करने वाले होते हैं दुनिया में।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org