________________
संकल्प-शक्ति का विकास
४६
का प्रयास नहीं करेंगे । अपने आप उठेगा और सिर पर लग जायेगा । आप भावना करें कि हाथ भारी हो गया है। आपका हाथ बहुत भारी बन जाएगा। कल्पना करें कि हाथ हल्का हो गया है, हल्का हो जाएगा। आप भावना करें कि हाथ ठंडा हो रहा है, ठंडा हो जाएगा। भावना करें कि हाथ गर्म हो रहा है, हाथ गर्म हो जाएगा। भावना हमारी चेतना को और वातावरण को बदलती है । यह ठीक भावना का प्रयोग है-आटोजेनिक चिकित्सा पद्धति । इस पद्धति के द्वारा रोगी अपने आप अपने को स्वस्थ करता है । दूसरे मार्गदर्शक की बहुत जरूरत नहीं होती । मात्र वह तो कहीं-कहीं सुझाव देता है । रोगी स्वयं अपनी चिकित्सा कर लेता है।
हम भावना को, भावना के प्रयोग को भूल गए । सुझाव का प्रयोग बहुत महत्त्वपूर्ण प्रयोग होता है । एक आदमी पीड़ित है किसी भी अवयव की पीड़ा से । घुटने का दर्द, कमर का दर्द, गर्दन का दर्द-ये तीन स्थान बहुत ज्यादा दर्द के हैं और भारतीय लोग इनसे पीड़ित हैं। ये खास स्थान हैं । दर्द है, शरीर-प्रेक्षा का प्रयोग कर रहे हैं, उसे देख रहे हैं। इसके साथ भावना का प्रयोग करें। जहां दर्द है वहां हाथ टिका दें। उसे देखना शुरू कर दें, ध्यान उस पर केन्द्रित कर दें। अंगुलो का निर्देश और ध्यान वहां पर केन्द्रित है। दीर्घ श्वास लें, ध्यान वहीं टिका रहे, बीच-बीच में सुझाव दें कि वह अवयव स्वस्थ हो रहा है। आप प्रयोग करके देखें कि क्या परिणाम आता है। कितना अद्भुत परिणाम आता है। भावना के द्वारा, सुझाव के द्वारा हमारी चेतना बदलना शुरू कर देती है । चेतना में परिवर्तन होना शुरू हो जाता है। हम आदतों को बदल सकते हैं । जटिल से जटिल आदत को भावना के प्रयोग के द्वारा बदला जा सकता है । जिस आदत को बदलने में हजारों उपदेश और हजारों शिक्षाएं काम नहीं करती, भावना के द्वारा व्यक्ति स्वयं बदल सकता है और अपनी चेतना को एकदम नये ढांचे में ढाल सकता है ।
आप जिस बात का प्रयोग कर रहे हैं, उसके प्रति आपके मन में भ्रम न रहे। यह कोई साम्प्रदायिक प्रयोग नहीं है । यह स्पष्ट होना चाहिए । जब तक मन से यह बात नहीं निकलेगी तब तक आप उसका लाभ नहीं उठा पाएंगे । यह शुद्ध आध्यात्मिक प्रयोग है-श्वास का प्रयोग। क्या श्वास किसी सम्प्रदाय से सम्बन्धित है ? क्या अपने शरीर को देखना भी किसी सम्प्रदाय से सम्बन्धित है ? श्वास, शरीर, शरीर के प्रकम्पन, शरीर की हलचलें-ये तो वैयक्तिक हैं । हर व्यक्ति की अपनी हैं। किसी का कोई सम्बन्ध नहीं जुड़ता
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org