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आत्म-निरीक्षण
शरीर को देखने का अभ्यास आत्म-निरीक्षण का एक महत्त्वपूर्ण उपाय । स्वयं को देखना बहुत कठिन होता है। जब मनुष्य स्वयं को देखने लग नाता है तो बहुत सारी समस्याएं हल हो जाती हैं। हम इस बात को न भूलें के व्यक्ति आखिर व्यक्ति ही है । सामाजिक दायित्व और सामाजिक कर्तव्यों के बीच वह रहता है, उनका अनुपालन करता है। पर जब व्यक्ति शरीर से स्वस्थ नहीं होता और मन से स्वस्थ नहीं होता तो वह सामाजिक दायित्वों और कर्तव्यों का सम्यक् पालम भी नहीं कर सकता। प्रथम बात है कि व्यक्ति वस्थ रहे। तब वह सामाजिक स्वास्थ्य का अनुपालन कर सकता है और समाज के प्रति अपने कर्तव्यों को निभा सकता है। वैयक्तिक स्वास्थ्य के लिए नात्म-निरीक्षण एक अनिवार्य प्रक्रिया है । अपने आपको देखना, अपनी क्षमता को देखना, अपने विकास को देखना, अपनी कमियों और विशेषताओं को खना । दोनों को देखना है। जो व्यक्ति केवल अपनी कमियों को देखता है ह हीनता की ग्रंथि से ग्रसित हो जाता है। जो व्यक्ति केवल अपनी विशेषनाओं को देखता है, वह अहंकार की ग्रन्थि से ग्रस्त हो जाता है और ये दोनों पन्थियां व्यक्तित्व के निर्माण में बाधक बनती हैं।
व्यक्तित्व के निर्माण के लिए बहुत आवश्यक है-यथार्थ का अंकन, थार्थ-बोध । यथार्थ-बोध होना चाहिए। सही मूल्यांकन बहुत जरूरी है । ब मूल्यांकन सही नहीं होता, बहुत भ्रम पैदा हो जाता है। मादक वस्तुओं का सेवन करना इसीलिए वर्जित माना जाता है कि मादकता की अवस्था में मारा यथार्थ-बोध लुप्त हो जाता है। आज के युवक में मादक वस्तुओं का वन बहुत बढ़ रहा है । पश्चिमी देशों में बहुत बढ़ रहा है और जो पश्चिमी शों में बढ़ता है, वह पूर्वी देशों में भी बढ़ने लग जाता है । इतनी मादक स्तुएं चल पड़ी हैं, जिनकी संख्या करना भी कठिन हो गया है । अरबों-अरबों पयों की मादक वस्तुएं, मादक द्रव्य उत्पन्न किए जा रहे हैं । बाजार में आ रहे हैं । पहले केवल शराब, भांग, गांजा, चरस-ये वस्तुएं चलती थीं । आज तो इनके सैकड़ों प्रकार बन गये हैं और जब मादकता आती है, मूर्छा आती है
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