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एकला चलो रे.
वापस कर देगा । छोटी-सी कहानी है या व्यंग्य है
सेठ को बुखार आ गया। डॉक्टर को बुलाया, बुखार ठीक कर दी। सेठ ने एक चेक दे दिया। तीन दिन बाद डॉक्टर आया और बोला-'सेठ साहब ! आपका चेक तो बैंक से वापस आ गया । सेठ ने कहा-भई, चिन्ता की कोई बात नहीं है, हमारा बुखार भी वापस आ गया।
अच्छाइयां आती हैं पर वह उन्हें लौटा देता है। हमारे पास शक्तियां भी आती हैं, शक्तियों का अवतरण भी होता है किन्तु हम लौटा देते हैं। उन्हें रखने के लिए हमारे पास ऐसी कोई ताकत नहीं, कोई ऐसी शक्ति नहीं, जिससे आने वाली शक्तियों को हम रिजर्व कर सकें, कोई भंडार भर सकें,. सुरक्षित रख सकें । ऐसा कोई साधन नहीं है । 'णमो अरहताणं' इस शब्द की तरंगों के द्वारा जब ज्ञानकेन्द्र सक्रिय होता है, मस्तिष्क की कोशिकाएं शक्तिशाली होती हैं, और उसमें सफेद रंग सुरक्षित रहता है तो भंडार भरने की ताकत भी बढ़ जाती है।
नमस्कार महामंत्र के पदों, उनके चैतन्यकेन्द्रों और रंगों के बारे में थोड़ीसी जानकारी दी और उसका किस प्रकार हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के साथ संबंध है, इस विषय में थोड़ा-सा जाना । मैं समझता हूं कि इतना भी बहुत पर्याप्त है । प्रारम्भ में इतना-सा जान लिया जाए तो बहुत सारा जान लिया जाता है । अब उनका कैसे उपयोग किया जाए और स्वास्थ्य के साथ कैसे जोड़ा जाए, यह बताना शेष रहता है। अगर स्वास्थ्य के साथ नहीं जुड़ता तो प्राण के साथ भी नहीं जुड़ता और प्राण के साथ जुड़े बिना कोई भी मंत्र प्रभावी नहीं बनता, शक्तिशाली नहीं बनता। मूल बात है-मंत्र के साथ प्राण को स्थापित कर देना । यह मंत्रशास्त्र का महान रहस्य है । इसे जानने वाला बहुत लाभ उठा सकता है। जो इस बात को नहीं जानता, वह इतना लाभ नहीं उठा सकता। इन छोटी-छोटी बातों को अगर आप जान लें तो बहुत लाभान्वित हो सकते हैं।
इन सारे रहस्यों को आप संकेत मात्र जान सकें तो इस महामंत्र के द्वारा शरीरबल. बुद्धिबल, मनोबल और आत्मबल को अतिरिक्त मात्रा में विकसित करने में सफल हो सकते हैं ।
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