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ध्यान : जीवन की पद्धति
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आचार्य तुलसी ने तेरापंथ का बहुत विकास किया, पर हम जानते हैं कि प्रत्येक विकास के उपक्रम के साथ खतरे की संभावना बनी रहती थी, जोखिम उठानी पड़ती थी। जो खतरे और जोखिम से डरता है, वह फकीर का फकीर रह सकता है, जहां बैठा है, वहीं बैठा रह सकता है, पर विकास नहीं कर सकता। जिस व्यक्ति में साहस होता है, धैर्य होता है, कठिनाइयों को झेलने की क्षमता होती है, वह खतरों को मोल लेता है और आगे बढ़ता जाता है। वैसे व्यक्तियों का उपादान पाकर ही ऐसी सृष्टि का निर्माण होता है, जहां कांटे नीचे रह जाते हैं और फूलों की सुरभि से सारा वायुमण्डल सुरभित हो जाता है ।
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