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एकला चलो रे रहे, परलोक की चर्चा करते रहे तो वह चर्चा भी भारी उलझन पैदा कर देगी। इसलिए सबसे पहले ऋजु मार्ग है-वर्तमान क्षण को समझना और वर्तमान जीवन को समझना, वर्तमान को धार्मिक बनाना, अध्यात्ममय बनाना। इस सीधे रास्ते पर कोई उलझन नहीं आएगी और इससे बड़ा उलझन-मुक्ति का मार्ग कोई है नहीं।
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