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सहिष्णुता के प्रयोग
२५७ का प्रयोग और साथ ही अनजाने स्वास्थ्य का भी बहुत बड़ा प्रयोग हो जायेगा। रोटी के साथ साग खाते हैं तो पूरा चबाया नहीं जाता। स्वास्थ्य का मूल सिद्धान्त है कि भोजन को जितना चबाया जाये उतना ही अच्छा है । कहा जाता है, बत्तीस बार एक कौर को चबाया जाये। इतना निकम्मा कौन बैठा है जो बत्तीस बार चबाए । पांच मिनट में भोजन करना है, दस मिनट में भोजन करना है । बत्तीस बार एक कौर को चबाएं, बेचारा कब तक बैठा रहे ? फिर क्या खाये ? इतना कैसे खाये, खा ही नहीं सकता। एक बात तो जरूर है कि जो इतना चबाये तो उसे ज्यादा खाने की जरूरत भी नहीं पड़ती। पांच रोटियां जो काम नहीं करतीं, एक-डेढ़ रोटी उतना काम कर सकती है अगर उतना चबाया जाए। किन्तु आदमी तो मात्रा ज्यादा चाहता है, क्वांटिटी पूरी होनी चाहिए. उसके बिना संतोष नहीं होता । चबाने की बात बहुत गौण होती है । नहीं चबाने का परिणाम होता है कि दांत भी खराब होते हैं और आंत भी खराब होती है। दांत और आंत दोनों के साथ शत्रुता का पोषण करना हो तो चबाना छोड़ दो। अपने आप दोनों कष्ट में पड़ जाएंगे । इसलिए दांत कमजोर होते हैं । अभी एक बहन आयी थी सुजानगढ़ से, मालचंदजी डोसी की धर्मपत्नी । विचित्र महिला है, वृद्ध महिला है । आप विश्वास नहीं करेंगे, ७४ वर्ष की अवस्था है । आज तक उसने दातुन नहीं किया, मंजन नहीं किया, कभी नहीं किया। दवा नहीं लेती कभी, दवा का बिलकुल प्रत्याख्यान (त्याग)। किसी भी अवस्था में कोई दवा का प्रयोग नहीं किया । मैंने कहा-तुम्हारे दांत खराब कैसे हों ? दांत' तो उन लोगों के खराब होते हैं जो बहुत मात्रा में खाते हैं और बार-बार खाते हैं, चबाते ही रहते हैं, दिन भर चरते रहते हैं, उनके दांत खराब होते हैं, उनमें सड़ांध भी पैदा हो जाती है । जो लोग बहुत सीमित खाते हैं, उनके दांत कैसे खराब हों ? पशु के दांत तो कभी खराब नहीं होते। खराब होने का कोई कारण ही नहीं । दांतों को खराब करना हो तो चीनी खूब खाएं। फिर कोई जरूरत नहीं है किसी की। चीनी जितनी ज्यादा जाती है, दांत' उतने ही कमजोर होते हैं । दांतों की जड़ें उतनी ही कमजोर होती हैं । चीनी खा लेते हैं और वे चीनी के कुछ अंश दांतों में जमे रह जाते हैं। वे सबसे ज्यादा दांतों को हानि पहुंचाते हैं । मैं अस्वाद की चर्चा करते हुए स्वाद की चर्चा भी कर रहा हूं कि आप फुलका खाते हैं गेहूं का, गेहूं की रोटी खाते हैं। जिन लोगों ने बिना साग के कभी गेहूं की रोटी नहीं खायी उन्हें पता ही
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