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आध्यात्मिक स्वास्थ्य
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हैं । बाधाएं सामने आ खड़ी होती हैं । उन सब बाधाओं में सबसे पहली और सबसे बड़ी बाधा है— काममूर्च्छा | भगवान् महावीर ने बहुत बड़ा मनोवैज्ञानिक तथ्य प्रतिपादित किया। उन्होंने कहा -संज्ञाएं चार हैं-- आहार संज्ञा, - भय संज्ञा, मैथुन संज्ञा और परिग्रह संज्ञा ये चार संज्ञाएं सब प्राणियों में होती हैं । ये संज्ञाएं अविकसित स्थावर प्राणियों में भी होती हैं तो परम विकसित प्राणी मनुष्य में भी होती हैं । सबमें चारों संज्ञाएं होती हैं । फिर प्रश्न हुआ किस प्राणी में कौन-सी संज्ञा कम और अधिक होती हैं । इस प्रश्न के उत्तर से बहुत सारी मनोवैज्ञानिक गुत्थियां सुलझी हैं । पशु में आहार की संज्ञा 'सबसे ज्यादा होती है और मनुष्य में काम की संज्ञा सबसे अधिक होती है । उसमें काम का तनाव निरन्तर बना रहता है। आज के मनोवैज्ञानिक भी मानते हैं कि क्रोध का तनाव सामयिक होता है, काम का तनाव निरन्तर बना रहता है । फ्रायड ने इसी आधार पर कहा था कि हमारी सारी वृत्तियों 'के मूल में सेक्स है और काम का अनेक दिशाओं में प्रकटीकरण होता है । उसका सब्लीमेशन होता है, उदात्तीकरण होता है, अनेक दिशाओं में प्रस्फुटन होता है । उन्होंने संगीत, बौद्धिक विकास - सभी अभिव्यक्तियों को काम की अभिव्यक्ति के रूप में स्वीकार किया । इसमें कुछ चर्चनीय भी हो सकता है, विवादास्पद भी हो सकता है । किन्तु यह सचाई है कि काम का तनाव मनुष्य - में सबसे अधिक होता है, काम की संज्ञा सबसे प्रबल होती है । यह सबसे बड़ी बाधा है । काम की संज्ञा को कम किए बिना कोई भी व्यक्ति आध्यात्मिक स्वास्थ्य को उपलब्ध नहीं हो सकता । काम की संज्ञा को कम करना सबसे कठिन कार्य है । दोनों में कैसे समझौता हो और इस समस्या को कैसे खाने सुलझाया जाए ? पूज्य कालूगणीजी कहा करते थे कि बूर का लड्डु वाला भी पछताता है और नहीं खाने वाला भी पछताता है । खाता है, अनुभव करता है कि खाया, फिर भी मजा नहीं आया। कोई स्वाद नहीं, कुछ भी नहीं है । और जो नहीं खाता वह सोचता है कि वह आदमी तो खा रहा है, कितने स्वाद का अनुभव कर रहा होगा, आनन्द का अनुभव कर रहा होगा । और मैं बिलकुल वंचित रह रहा हूं । वह तरसता है । दोनों ओर से कठिनाई है। काम की भी समस्या है और ब्रह्मचर्य की भी अपनी समस्याएं हैं। दोनों ओर समस्याएं हैं । काम की भी कम समस्याएं नहीं हैं । ब्रह्मचर्य की समस्या को वे लोग जानते हैं जो इस दिशा में जाते हैं। बहुत बड़ी समस्याएं होती हैं । आज के समाचारपत्रों को पढ़ने वाला हर व्यक्ति जानता है
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