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आध्यात्मिक स्वास्थ्य
जीवन का सार क्या है ? यह प्रश्न बहुत बार मन में उभरता है । मनुष्य सदा सार के प्रश्न पर चिंतन करता रहा है । असार को छोड़ना और सार को उपलब्ध होना, ये दो बहुत बड़े कार्य हैं । प्रत्येक कार्य के साथ सार का संबंध जुड़ा है । जीवन के साथ भी सार का सम्बन्ध जुड़ा है । जीवन का सार क्या है ? यह बहुत महत्त्वपूर्ण प्रश्न है । प्रश्न पूछा गया - ज्ञान का सार क्या है ? उत्तर मिला -- ज्ञान का सार है आचार । 'धर्म का सार क्या है ? ' - प्रश्न पूछा गया । उत्तर मिला— शान्ति । जीवन का सार क्या है ? इसका उत्तर होगा -- श्वास । जीवन का सार है—स्वास्थ्य | हमारा जीवन है - प्राण । प्राणी प्राण से जीता है । प्राण उसका जीवन होता है । प्राण सन्तुलित होता है, प्राणी स्वस्थ होता है । प्राण असन्तुलित होता है, प्राणी अस्वस्थ होता है । स्वस्थ व्यक्ति जीवन का आनन्द लेता है और अस्वस्थ व्यक्ति निराशा के साथ, दुःख के साथ जीवन जीता है । वह जीते हुए भी अपने को मृतवत् अनुभव करता है । सचमुच वही व्यक्ति जीवन जीता है जो स्वस्थ होता है । जिसकी प्राण-शक्ति प्रबल होती है वह सदा आशा, उत्साह और शक्ति सम्पन्नता का अनुभव करता है । शरीर स्वस्थ होता है, जीवन का रस मिलता है । शरीर स्वस्थ हो और मन अस्वस्थ हो तो जीवन का रस खण्डित हो जाता है, पूरा आनन्द का अनुभव नहीं होता । शरीर तो ठीक चल रहा है किन्तु मन गड़बड़ा रहा है तो शांति समाप्त हो जाती है । शरीर भी स्वस्थ, मन भी स्वस्थ किन्तु भाव स्वस्थ नहीं है, तो ये दोनों गड़बड़ा जाते हैं ।
स्वास्थ्य का प्रश्न तीन स्तरों पर चर्चित होता है-भाव, मन और शरीर । भाव स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य और शारीरिक स्वास्थ्य | भाव स्वास्थ्य आध्यात्मिक स्वास्थ्य है । मन का स्वास्थ्य मानसिक स्वास्थ्य है और शरीर का स्वास्थ्य शारीरिक स्वास्थ्य है । शरीर स्थूल है, मन उससे सूक्ष्म और भाव उससे सूक्ष्म । सूक्ष्म, सूक्ष्म और सूक्ष्मतर । सबसे पहले हमारे सामने शरीर आता है । हम शरीर के स्वास्थ्य की चिन्ता करते । जिन लोगों ने सूक्ष्म की दिशा में प्रस्थान किया है, सूक्ष्म की यात्रा शुरू की है, वे स्थूल पर
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