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एकला चलो रे
एक श्वास । एक श्वास लेना और छोड़ना एक मिनट में । जब एक मिनट में पांच श्वास लेने की स्थिति आ जाए उस व्यक्ति के लिए मन चंचल है, यह प्रश्न समाप्त हो जाता है । उस व्यक्ति के लिए मन में अशान्ति है, यह प्रश्न समाप्त हो जाता है । मन भारी है, बोझिल है, दिमाग भारी-भारी है, ये सारे प्रश्न समाप्त हो जाते हैं। और जब श्वास की संख्या बढ़ती है तो मन कितना तेज घूमने लग जाता है कि भगवान् भी बचाना चाहे तो उस व्यक्ति को मन की अशान्ति से नहीं बचा सकता।
हमारे सामने तीनों स्थितियां स्पष्ट हैं-एक सामान्य श्वास की स्थिति, एक छोटे श्वास की स्थिति और एक दीर्घ श्वास की स्थिति । सामान्य श्वास की स्थिति में आदमी सामान्य ढंग से जीता है किन्तु जब-जब श्वास छोटा होता है, आवेग बढ़ते हैं, तब-तब कठिनाइयां बढ़ने लग जाती हैं। और जब हम श्वास को दीर्घ करना सीख जाते हैं तो समस्याओं को साथ-साथ में दूर करना सीख जाते हैं । हम मानसिक उलझनों को मिटाना भी सीख जाते हैं । केवल मानसिक समस्याएं ही नहीं सुलझतीं, साथसाथ में शारीरिक समस्याएं भी सुलझती हैं । स्वास्थ्य भी अच्छा होता है, बड़ी शान्ति मिलती है, गहरी नींद आती है और सारे शरीर की क्रिया ठीक होने लग जाती है। कितना बड़ा प्रश्न मैंने ले लिया कि श्वास कैसे लें ? केवल श्वास के एक पहलू पर मैं थोड़ा-सा प्रकाश डाल पाया हूं। श्वास कैसे लें इसका पूरा विज्ञान जानना हो तो बहुत जानने की जरूरत है । आज के डॉक्टर नहीं जानते । उन्हें पता नही है। किसी डॉक्टर से पूछे कि बाएं नथुने से श्वास ठंडा आता है और दाएं नथुने से गर्म आता है, कारण क्या है ? डॉक्टर आपको कोई कारण नहीं बता पाएंगे, किन्तु सही बात है, ऐसा होता है । दाएं नथुने से १०-२० श्वास लें, सिर चकराने लग जाएगा । गर्मी बढ़ जाएगी। न जाने श्वास के साथ-साथ कितनी रहस्यपूर्ण बातें हमारे योग के आचार्यों ने खोजी हैं, जो आज के विज्ञान के लिए अगम्य बनी हुई हैं। ____ इस परिचर्चा से आपके मन में प्रेरणा जागे और श्वास कैसे लें, उसे सीखने का थोड़ा-सा संकल्प आपके मन में उठ जाए तो वह संकल्प शरीर, मन और वाणी को स्वच्छ करने तथा आदतों और स्वभाव को बदलने तथा कषाय को कम करने के लिए कल्याणकारी सिद्ध होगा, इसमें मुझे कोई संदेह नहीं है।
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