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एकला चलो रे
पर ध्याम देता है । दुनिया में सबसे बड़ा आवमी वह होता है जो छोटी बातों पर ध्यान योता है। महावीर उन बड़ों में नहीं थे, वैसे बड़े जो छोटी बातों की उपेक्षा करें और बड़ी बातों का बखान करें। वैसे बड़े नहीं थे। वे सबसे महान् इसलिए बने कि उन्होंने छोटी-छोटी बातों पर ध्यान दिया। ____ मैंने जब महात्मा गांधी के साहित्य को पढ़ा तो ऐसा लगा कि भगवान् महाबीर के बाद छोटी बातों पर ध्यान देने वाले कुछ लोगों में महात्मा गांधी भी थे।
एक भाई आया आश्रम का और दातून तोड़कर लाया। गांधीजी ने कहा-अरे ! इतना क्यों तोड़ा ? तुमने फालतू तोड़ लिया। इतने से ही तुम्हारा काम बाल सकता था । टहनी को ज्यादा तोड़ लिया। अब भला नीम की टहतीडऐसे ही टूटती रहती है, उस पर ध्यान देने की क्या बात है । आदमी तो वसते चलते ही प्रभाव में ऐसा झटका देता है कि मात्र टहनी को ही नहीं, समूची शनाया को ही गिरा देता है । और दासून के लिए थोड़ा-सा ज्यादा तोड़कर लाया, गांधीजी ने टोक दिया । बहुत टोका।
एक बार एक व्यक्ति आया और खटिया को ऐसे ही सरका दिया। गांधीजी ने कहा कि तुमने खटिया सरकाई, देखा ही नहीं कि कोई जीव-जन्तु है । कितनी छोटी बाल कि जहां चलते समय आदमी बैठे हुए को कुचलकर चला जाता है और ध्यान नहीं देता वहां खटिया को सरकाने में जीव-जन्तु का ध्यान दिया जाए । इतनी छोटी बात । लगता है कि जो लोग निकम्मे होते हैं वे इतनी छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देते हैं । निकम्मे थे भगवान् महावीर, निकम्मे थे महात्मा गांधी, निकम्मे थे और कुछ आचार्य, जो इतनी छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देते । किन्तु जिन लोगों ने अपनी नींव को मजबूत नहीं किया, अपनी नींब पर ध्यान नहीं किया, और केवल ऊपर की मंजिल को सजाना-संवारना चाहा, केवल पताका फहराना चाहा और अपने झण्डे को ऊंचा करना चाही, उनके मकान हमेशा ढहते गए और जिन लोगों ने नींव पर ध्यान दिया उनके मकान मंजिल से मंजिल चढ़ते चले गए और पताकाएं अपने आप फहराती चली गई। उन्हें प्रयत्न करने की जरूरत नहीं
सन्च मुच जीवन का निर्माण छोटी-छोटी बातों से होता है । बड़ी बातें तो तब बनती हैं जब कि छोटी बातें बनते-बनते बहुत इकट्ठी होती हैं। पहले
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