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________________ हम श्वास लेना सीखें २३७ कब को समझना ही पड़ेगा । गुस्सा इसलिए आता है कि वह श्वास को ठीक से लेना नहीं जानता । और गुस्सा तब आता है जब श्वास को ठीक लेना नहीं जानता। श्वास जब छोटा होता है तब गुस्सा आता है। जब श्वास लम्बा चलता है तब किसी को गुस्सा नहीं आ सकता । दीर्घ श्वास में गुस्सा नहीं आ सकता । छोटा श्वास चलता है तब गुस्सा आता है । ऑक्सीजन कम हो जाता है और कार्बन ज्यादा जमा हो जाता है तो गुस्सा ज्यादा आने लग जाता है। श्वास के साथ सारा धर्म का प्रश्न जुड़ा हुआ है। हम लोगों ने क्या किया ? बड़े सिद्धान्तों पर ध्यान ज्यादा दिया। आत्मा को जानें, आत्मा को समझे, पुनर्जन्म को जानें, पूर्वजन्म की चर्चा करें, परमात्मा को जानें । दर्शन के बड़ेबड़े प्रश्न हैं, उन पर हम ध्यान केन्द्रित करते हैं । दर्शन की बड़ी-बड़ी गुत्थियां हैं, उन्हें सुलझाने का प्रयत्न करते हैं और ऐसे सूक्ष्मतम प्रश्न करते हैं जिनका शायद जीवन के साथ कोई सीधा संबंध नहीं होता। किन्तु छोटी बातों पर ध्यान नहीं देते। और यह हमेशा होता है कि जब बड़ी बातों पर ध्यान होता है, छोटी बातों पर ध्यान नहीं होता, वहां सारे भवन डगमगाने लग जाते हैं । आदमी नींव पर ध्यान नहीं देता और केवल खण्डों पर ध्यान देता है कि ऊपर की मंजिल कितनी अच्छी होगी और उस पर ध्वजा कैसे फहराएगी। इस बात पर ज्यादा ध्यान देता है तो भवन ज्यादा टिक नहीं पाता। धर्म की भी यही स्थिति हुई है। छोटी-छोटी बातों पर ध्यान कम दिया, बड़ी बातों पर ध्यान केन्द्रित कर दिया। ___भगवान् महावीर के सामने जब कोई व्यक्ति दीक्षित होता, भगवान् उसे बहुत बड़ी बातें नहीं समझाते, बड़े उपदेश नहीं देते, दर्शन के गूढ़ रहस्य नहीं समझाते । वे समझाते कि तुम्हें कैसे चलना चाहिए ? कैसे खड़ा होना चाहिए ? कैसे बैठना चाहिए और कैसे सोना चाहिए ? बहुत छोटी-छोटी बातें समझाते । आप सोचेंगे कि महावीर को ऐसी बातें समझाने की क्या जरूरत है कि ऐसे सोना चाहिए। कोई माता-पिता ने क्या किसी बच्चे को सिखाया कि कैसे सोना चाहिए । शायद नहीं सिखाया होगा । और सिखाना जरूरी भी नहीं है । क्या आवश्यक है ? कैसे खड़ा होना चाहिए, कैसे बैठना चाहिए, यह कोई सिखाने की बात होती है ? अपने आप आदमी खड़ा होता है और अपने आप बैठता है । किन्तु महावीर ने सिखाया। इसलिए सिखाया कि महावीर कोई बड़े आदमी नहीं थे। बड़े आदमी तो बड़ी बातें सिखाते हैं, महावीर तो छोटे आदमी थे। जो छोटा आदमी होता है वह छोटी बातों Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003058
Book TitleEkla Chalo Re
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherTulsi Adhyatma Nidam Prakashan
Publication Year1985
Total Pages320
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size14 MB
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