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“पुरुषार्थ की नियति और नियति का पुरुषार्थ
२२३ आपने, कुछ प्रयोग किया ?' उन्होंने कहा, 'प्रयोग ही नहीं किया बल्कि देखिए मेरा पैर, कल जो सूजन थी वह आधी हो गई।' __अब कल्पना नहीं की जा सकती। यह कहानी-सी लगती है। एक रात में इतनी भयंकर बीमारी और सूजन आधी हो जाए। किन्तु उपाय सम्यक होता है और आस्थावान् पुरुष आस्था के साथ उसका प्रयोग करता है तो एक विचित्र घटना घट जाती है। __ आस्था और उपाय-~-दोनों का योग होना चाहिए। उपाय ठीक है और आस्था नहीं है कि भई, बात तो कही जा रही है. पर होगा या नहीं होगा, तो बिलकुल नहीं होगा । मन में जब यह विकल्प है कि होगा या नहीं होगा तो नहीं ही होगा । पहले ही क्षण में जब आस्था भंग हो गई, विश्वास खंडित हो गया तो फायदा कभी होने वाला नहीं। उपाय और आस्था दोनों का योग मिले । सही उपाय और झूठी आस्था है तो भी नहीं होगा और कोरी आस्था से भी काम नहीं बनता। आस्था है और सही उपाय मिला तो कुछ बातें ऐसी घटित हो जाती हैं कि जिनकी हम कल्पना नहीं कर सकते।
दवा लेते हैं और तत्काल परिवर्तन होता है तो दवा में क्षमता होती है। हमारे एक बहुत कुशल चिकित्सक थे, भंवरलाल दूगड़ । उन्होंने कहा कि मैं दस दिन में दस किलो वजन बढ़ा सकता हूं औषधि के द्वारा । बात बड़ी अजीब-सी लगती थी। पर रोज एक किलो वजन बढ़े, यह तो हो सकता है। खाने से पहले वजन लें और खाने के बाद वजन लें. --एक किलो वजन बढ़ जाएगा। पानी पी लें डटकर और खा लें तो एक किलो वजन बढ़ जाएगा। यह तो संभव है। पर एक किलो वजन शरीर का बढ़ जाए बिना खाए-पीए, बड़े आश्चर्य की बात लगती है। किन्तु बे उपाय को जानते थे। हमारी आंखों के सामने ऐसा कर दिखाया। हमने देख लिया। एक व्यक्ति ने दवा का सेवन किया और सात दिन में सात किलो वजन बढ़ गया। उपाय होते हैं। हमारे सामने उपायों की कोई कमी नहीं है । इतने पदार्थ, इतने यंत्र, इतनी औषधियां, इतने द्रव्य हैं कि अगर कोई उपाय को जाने तो बहत आश्चर्यकारी घटनाएं घट सकती हैं। जब एक औषधि के द्वारा इतना परिवर्तन हो सकता है तो क्या हमारे भीतर की औषधि के द्वारा इतना परिवर्तन नहीं हो सकता ? यह सारा परिवर्तन होता है रसायनों के द्वारा । जो रसायन औषधि में मिलते हैं, वे सारे रसायन हमारे शरीर के भीतर विद्यमान हैं । यह जो पिनीयल ग्लैण्ड, पिच्यूटरी ग्लैण्ड, बहुत छोटे-छोटे दाने जैसे हैं,
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