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एकला चलो रे
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फिर लम्बे रहने की स्थिति बनी । चर्चाएं होती गयीं । होते-होते सूफी संत्रदाय के सम्बन्ध में हमारी चर्चा चली । उसने बताया कि बारहवीं शताब्दी में एक सबसे बड़ा सूफी संत हुआ है। उसने दो चक्रों का वर्णन किया है—एक दायीं ओर कांख के नीचे और एक बायीं ओर कांख के नीचे – ये दो बड़े महत्त्वपूर्ण चक्र होते हैं । सबसे ज्यादा ध्यान इन्हीं केन्द्रों पर करना चाहिए । मैंने कहा - 'तुमने हमारे मन का एक कांटा निकाल दिया । मन की एक बड़ी जिज्ञासा थी । मन में एक बड़ा प्रश्न था कि यह दाएं-बाएं अवधिज्ञान कैसे हो सकता है ? अतीन्द्रिय ज्ञान कैसे हो सकता है ? अब बात समझ में आ गयी कि दाएं-बाएं दोनों ओर दो चैतन्य- केन्द्र हैं । इन पर विशेष ध्यान करने से जब ये जागृत हो जाते हैं तो चेतना की रश्मियां इन केन्द्रों से भी बाहर निकलने लग जाती हैं। हमारा समाधान हो गया । आंख से देखने की उनको आवश्यकता नहीं । कंधों के बारे में हमारी जानकारी हो गयी । मैं तो शरीर की दृष्टि से और हाड़-मांस की दृष्टि से नहीं देखता । हर जगह की यही खोज रहती है कि चैतन्य -केन्द्र कहां है ? दृष्टि अपनी-अपनी होती है । इस शरीर को लोग अनेक दृष्टियों से देखते हैं। डॉक्टर की एक दृष्टि होती है | मारने वाले की एक दृष्टि होती है और बचाने वाले की भी एक दृष्टि होती है तथा शरीर के भीतर छिपे हुए रहस्यों को खोजने वाले व्यक्ति की भी एक दृष्टि होती है । एक बड़ा समाधान हो गया । किस प्रकार हमने चैतन्य - केन्द्रों को शरीर में खोजा, उसका मात्र एक छोटा-सा उदाहरण प्रस्तुत किया, पूरी चर्चा तो अभी भी आपके सामने नहीं करूंगा । समय आने पर ही इस बात की पूरी चर्चा होगी। ऐसे चैतन्य - केन्द्रों के बारे में सामग्री पड़ी है, किन्तु हमारा आवरण अभी हट नहीं रहा है ।
ऊर्जा संवर्धन के लिए, इन चैतन्य- केन्द्रों शक्ति-संवर्धनों की खोज बहुत जरूरी है । यह खोज जैसे-जैसे आगे बढ़ती है, सूक्ष्मतर शरीर या कारण शरीर की शक्तियों के बारे में हमारी जानकारी बढ़ती जाती है । हम पहले M स्थूल शरीर से ही चलें । हमारे स्थूल शरीर में शक्ति के तीन बड़े केन्द्र हैं । एक नीचे का भाग जिसे शक्ति केन्द्र कहा जाता है- रीढ़ की हड्डी का निचला सिरा या गुदा का भाग। दूसरा नाभि का भाग और तीसरा कंठ का भाग । ये हमारे शरीर में तीन बड़े शक्ति के स्रोत हैं । कंठ तक शक्ति के स्रोत और इनसे ऊपर हैं हमारी चेतना के स्रोत । ये तीनों बहुत बड़े केन्द्र हैं । नाभि का भाग बहुत महत्त्वपूर्ण है । यह खतरनाक भी है और
महत्त्वपूर्ण भी है ।
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