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एकला चलो रे काम करती हैं । इतनी अनन्त शक्ति कि दुनिया की हर घटना को सहन करने में उसे कोई भी कष्ट का अनुभव नहीं होता । शारीरिक शक्ति, मानसिक शक्ति और आध्यात्मिक शक्ति या आत्मिक शक्ति - ये हमारी शक्तियां हैं । हमारी शक्तियां तो बहुत हैं किन्तु हमें अपनी शक्ति के स्रोतों का पता नहीं है । ऊर्जा के स्रोत हमें ज्ञात नहीं हैं । ध्यान की पूरी प्रक्रिया, ऊर्जा के स्रोतों का पता लगाने की पूरी प्रक्रिया है, ऊर्जा के स्रोतों से लाभ उठाने की भी प्रक्रिया है, कुछ पाने की प्रक्रिया है । जैसे-जैसे हमारी शक्ति का संवर्धन होता है, बड़े काम करने में सहजता का अनुभव होता है । कोई कठिनाई भी नहीं होती । आज तक दुनियां में जितने लोगों ने बड़े काम किए हैं वे सारे के सारे काम ऊर्जा के विकास के स्तर पर किए गए हैं। चाहे कोई अपढ़ व्यक्ति हो और चाहे कोई विद्वान व्यक्ति हो, चाहे किसी भी क्षेत्र का व्यक्ति हो, ऊर्जा के विकास के बिना बड़ा काम नहीं कर सकता ।
सबसे बड़ा काम होता है इस दुनिया में अभय । जिस व्यक्ति में अभय का विकास हो गया उससे बड़ा दुनिया में कोई काम नहीं हो सकता । आप स्वयं अनुभव करते हैं—बड़े-से-बड़ा काम करने वाला आदमी भयभीत हो जाता है । सेनापति, जो सारे संसार पर विजय प्राप्त करने की आकांक्षा रखता है, स्वयं मौत के भय से घिरा हुआ है । जितनी सुरक्षा सेनापति की होती है, जितनी सुरक्षा राजा की होती है, उतनी किसी की भी नहीं होती । बहुत सुरक्षा होती है । क्योंकि वह बेचारा इतना डरा हुआ है कि कोई मार न डाले । दुनिया में सबसे बड़ा व्यक्ति वह होता है जो रोग से नहीं डरता, मौत से नहीं डरता और बुढ़ापे से नहीं डरता । तीन भय हैं-रोग का भय, मौत का भय और बुढ़ापे का भय । ये आते हैं तब तो सताते ही हैं, नहीं आते हैं तब भी कल्पना के माध्यम से निरन्तर सताते रहते हैं । जो भयों पर विजय प्राप्त कर लेता है, वह बहुत शक्तिशाली हो जाता है ।
सुकरात को जहर पिलाया जा रहा था । एक भाई आया, मित्र आया बोला- 'मुझे बड़ा दुःख है ।' रोने लग गया, आंसू टपकाने लग गया । सुकरात ने कहा- 'क्यों रो रहे हो, भाई ? मैं तो बिलकुल शांत बैठा हूं, मुझे कोई डर नहीं, तुम क्यों रोते हो ?' उसने कहा, 'तुम निर्दोष मारे जा रहे हो ।' सुकरात ने कहा, क्या तुम यह चाहते हो कि मैं दोषी होकर मारा जाऊं ? मुझे कोई भय नहीं है मौत का । बिलकुल भय ही नहीं ।' ऐसी मित्रता मौत के साथ स्थापित कर ली जैसे इस घर को छोड़कर नये घर में
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