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एकला चलो रे
वाला व्यक्ति, अनुसरण की वृत्ति को छोड़ने वाला व्यक्ति, सामने यह तर्क नहीं "रखता कि समाज क्या करता है, समाज क्या नहीं करता है । उसका चिन्तन यह होगा कि मुझे क्या करना चाहिए। दूसरे चाहे करें या न करें, मेरा धर्म क्या है, मेरा कर्त्तव्य क्या है, मेरा दायित्व क्या है । इस चिन्तन का विकास एकत्व की भूमिका के आधार पर ही सम्भव हो सकता है। हमारी एकत्व की भूमिका नहीं रहती तो मुझे नहीं लगता कि इस प्रकार की वृत्ति का विकास हो सके । हमारे सामने जीवन में अनुकूलताएं एवं प्रतिकूलताएं आती हैं । सर्दी आती है और गर्मी आती है। सर्दी को सहना और गर्मी को सहना । अनुकूलता को सहना और प्रतिकूलता को सहना कठिन काम है । प्रतिकूलता की अपेक्षा अनुकूलता को सहना कठिन काम है । हर व्यक्ति सह नहीं पाता । जब अनुकूलता की स्थिति होती है तो इतना अहंकार से भर जाता है, दर्प से भर जाता है कि अन्याय करते कोई संकोच नहीं होता । जब हाथ में सत्ता होती है, अधिकार होता है, फिर अन्याय करने में कोई संकोच नहीं होता इसलिए नहीं होता कि अनुकूलता को व्यक्ति सहन नहीं कर पाता । द्वेष बुराई तो है पर इतनी भयंकर बुराई नहीं जितनी राग की बुराई है । अप्रियता बुराई तो है पर उतनी बुराई नहीं जितनी प्रियता का संवेदन बुराई है ।
एक संस्कृत कवि ने ठीक लिखा कि जो भंवरा काठ को भेदकर चला जाता है, वही भंवरा कमलकोष में बद्ध हो जाता है, उसे भेदकर बाहर नहीं निकल पाता । कहां काठ और कहां कोमल कमलकोष ! किन्तु कठोर काठ को भेद देना उसके वश की बात है । किन्तु राग का बन्धन इतना तीव्र होता है कि वह उसे तोड़ नहीं पाता, भेद नहीं पाता । अनुकूलता को सहन करना बहुत बड़ी समस्या है। अकेला होने वाला व्यक्ति, अकेलेपन की साधना करने वाला व्यक्ति सबसे पहले उस राग के बन्धन को तोड़ने की बात को सीख लेता है | समाज कभी अप्रियता के आधार पर नहीं जुड़ता । सम्बन्ध कभी अप्रियता के आधार पर नहीं बनते । कभी दण्डशक्ति का उपयोग करने वाला -दूसरे के साथ अपना सम्बन्ध स्थापित नहीं कर पाता । कष्ट दे सकता है, दु:खी बना सकता है, पर सम्बन्धी नहीं बना सकता । सारे के सारे सम्बन्ध जुड़ते हैं प्रेम के धागे के आधार पर, आत्मीयता के धागे के आधार पर । जो प्रेम का धागा है, उसी के आधार पर राग के सम्बन्ध स्थापित होते हैं । किन्तु -सत्य आखिर सत्य होता है, उसे झुठलाया नहीं जा सकता । साधना करने न्वाला व्यक्ति, ध्यान करने वाला व्यक्ति भी इस सचाई को समझ लेता है कि
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