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एकला चलो रे
पहुंचाता है— अंगुली हिलानी है। इच्छा का यह संदेश मस्तिष्क तक पहुंचेगा
और वहां से जब तक फिर आदेश नहीं आ जाएगा तब तक अंगुली नहीं हिलेगी। एक अंगुली को हिलाने के लिए करोड़ों-करोड़ों न्यूट्रोन्स को सक्रिय होता पड़ता है, सारे यंत्र को क्रिया करनी पड़ती है। ___ जीवन की सफलता का एक सूत्र है---चपलता और स्थिरता का संतुलन, सक्रियता और निष्क्रियता का संतुलन । यह संतुलन बहुत अपेक्षित है । कोरी स्थिरता और कोरी चंचलता-दोनों से काम नहीं बनता। कोरी निष्क्रियता से भी कार्य पूरा नहीं होता और कोरी सक्रियता से भी कार्य पूरा नहीं होता। दोनों का संतुलन अपेक्षित होता है। जब हम चपल होते हैं तब स्थिर रहने का भी अभ्यास करें और जब हम स्थिर होते हैं तब चपल रहने का भी अभ्यास करें। हम चपलता से अभ्यस्त हैं। स्थिर रहना हम नहीं जानते । चपलता अत्यन्त परिचित है, स्थिरता अत्यन्त अपरिचित है। इसलिए स्थिर रहने में हमें कठिनाई होती है । यह अस्वाभाविक नहीं है। ये छोटी बातें हैं, पर हैं बहुत महत्त्वपूर्ण । ये छोटी बातें हमारे व्यक्तित्व को बड़ा बनाने में बहुत सहयोगी बनती हैं । इनसे हमारी शक्तियों का विकास होता है । ___ भारतीय संस्कृति में शिक्षा के दो प्रकार निर्दिष्ट हैं। एक है ग्रहणात्मक शिक्षा और दूसरी है आसेवनात्मक शिक्षा। आज की भाषा में कहा जाता है-सैद्धान्तिक और प्रायोगिक, थियोरेटिकल और प्रेक्टीकल । दोनों बहुत आवश्यक हैं । आज के आर्ट्स फैकल्टी में केवल सैद्धान्तिक ज्ञान कराया जाता है और विज्ञान के छात्र को सैद्धान्तिक और प्रायोगिक-दोनों का ज्ञान कराया जाता है । यह बहुत आवश्यक है। तुलनात्मक दृष्टि से देखा जाए तो केवल सैद्धान्तिक ज्ञान पाने वाले विद्यार्थी अधिक निकम्मेपन का अनुभव करते हैं और सैद्धान्तिक ज्ञान के साथ-साथ प्रायोगिक ज्ञान पाने वाले विद्यार्थी जीवन में निकम्मेपन का अनुभव नहीं करते । वे अक्रिय रहना नहीं चाहते। इसलिए दोनों का संतुलन बहुत अपेक्षित लगता है।
आज जीवन के सम्बन्ध में जो शिक्षा मिलती है, व्यक्तित्व के सम्बन्ध में जो शिक्षा मिलती है, वह सैद्धान्तिक अधिक है, प्रायोगिक कम है।
साधना-शिविर में हम प्रायोगिक बात पर अधिक बल देते हैं। श्वास को देखना, श्वास के प्रति जागरूक होना, यह प्रायोगिक बात है । यह किसी धर्म या संप्रदाय की बात नहीं है। श्वास प्रत्येक व्यक्ति के पास है। वह अपना निजी होता है। उसको देखने के लिए किसी उपकरण की जरूरत नहीं होती,
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