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________________ शिथिलीकरण और जागरूकता कोई जरूरी नहीं। आदमी नींद में सोता है, शिथिल होना कोई जरूरी नहीं है। नींद में भी तनाव होता है, नींद में भी लोग बहुत बड़बड़ाहट करते हैं, सपने आते हैं। क्योंकि तनाव से भरे रहते हैं। मन में बड़ा तनाव होता है, नींद से सोकर उठते हैं, अनुभव करते हैं कि नींद ली पर हल्कापन नहीं आया। शरीर पूरा हल्का नहीं हुआ। पूरी शांति नहीं मिली । तनाव तो भरा रहता है । तनाव मिटाने का सबसे पहला सरल उपाय है मन्द श्वास का प्रयोग । श्वास जितना मन्द होगा उतना तनाव मिटेगा, उतना अच्छा शिथिलीकरण होग।। मन्द श्वास यानी लम्बा श्वास । कुछ लोग छोटे श्वास को भी सहज श्वास मानकर भ्रम में पड़ जाते हैं। हमारा सहज श्वास चलता है उसमें कोई प्रयत्न नहीं करना पड़ता । श्वास को मन्द करने में प्रयत्न करना होता है। यह प्रयत्न वाली भ्रांति भी मिटा लेनी चाहिए। ध्यान अप्रयत्न है। यह बात अच्छी है पर आवश्यक प्रयत्न करना भी बुरी बात नहीं है । एक बार हम प्रयत्न करते हैं, संकल्प करते हैं किन्तु इस प्रयत्न के द्वारा परिणाम में अप्रयत्न भी प्राप्त होता है । मन्द श्वास हुआ। शिथिलीकरण होगा। जहां हम एक मिनट में १५ श्वास लेते हैं, मन्द श्वास लेने पर एक मिनट में १२, ६, ४, ३, २, १ श्वास हो जाता है। जब श्वास मन्द होता है तो दोनों स्थितियां बनती हैं-शिथिलीकरण और जागरूकता। श्वास के प्रति जागरूकता। जागरूकता को बढ़ाने के लिए सबसे पहला साधन है—श्वास की मंदता । जिसने श्वास पर नियन्त्रण रखना सीख लिया उसने जागरूकता का पाठ पढ़ लिया। हम मानसिक तनावों से घिरे हुए हैं। हम नहीं चाहते कि तनाव रहे, किन्तु उसे मिटा नहीं पा रहे हैं और इसलिए नहीं मिटा पा रहे हैं कि विकल्प पर विकल्प, विचार पर विचार, चिन्तन पर चिन्तन । ध्यान करने को बैठते हैं तो विकल्प सताने लग जाते हैं। इतनी कल्पनाएं आती हैं, इतने विचार आते हैं, निमन्त्रण नहीं दिया जाता। जैसे मक्खियां बिना निमन्त्रण के आती हैं, वैसे ही निमन्त्रण के बिना ये विचार, विकल्प, चिंतन आते रहते हैं। कैसे शांत करें ? एक उपाय है--शिथिलीकरण । दूसरा उपाय है-जीभ को शिथिल करना । बहुत बड़ा रहस्य है जीभ का कायोत्सर्ग। हम पूरे शरीर का शिथिलीकरण करते हैं, पूरे शरीर का कायोत्सर्ग करते हैं । पूरे शरीर का कायोत्सर्ग करना भी बहुत अच्छा है। हमें अभ्यास चाहिए कि शरीर के हर हिस्से का कायोत्सर्ग कर सकें। एक अंगुली को शिथिल कर सकें। पूरे हाथ को शिथिल करना है तो पूरे हाथ को शिथिल कर सकें। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003058
Book TitleEkla Chalo Re
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherTulsi Adhyatma Nidam Prakashan
Publication Year1985
Total Pages320
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size14 MB
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