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________________ अपने प्रभु का साक्षात्कार १४३ स्याएं, जिनकी चर्चा कल की थी- भय, हीनभावना, अहंकार की भावना और असंतुलन - ये सारी समस्याएं अपने आप क्षीण होने लगती हैं । जब 'सोsहं' का अनुभव है तो फिर भय किस बात का ? आप भय को मिटाना चाहें, नहीं मिटेगा । आपका आत्मविश्वास ही खोया हुआ है तो भय कैसे मिटेगा ? आत्मविश्वास की कमी भय पैदा करती है और जब तक परमात्म• अनुभव की लम्बी श्रृंखला आपके ध्यान में नहीं उतर जाती, तब तक भय को समाप्त नहीं किया जा सकता । जब यह स्थिति बनेगी, भय अपने आप ही समाप्त हो जाएगा । जब 'सोऽहं' का अनुभव है तो दीनता और उच्चता की ग्रंथि अपने आप समाप्त होगी, मानसिक असंतुलन समाप्त होगा । ये सारी समस्याएं अपने आप ही सुलझेंगी । एक बहुत बड़ा सूत्र था 'सोऽहं' का । उस पर हम विचार करें । उसका • अभ्यास करें। इन महान् सूत्र के द्वारा हमारा मनोबल बढ़ेगा और मनोबल को क्षीण करने वाली हमारी सारी समस्याएं समाप्त हो जाएंगी । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003058
Book TitleEkla Chalo Re
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherTulsi Adhyatma Nidam Prakashan
Publication Year1985
Total Pages320
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size14 MB
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