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एकला चलो रे
तत्काल गुस्से से छुटकारा पाने का एक उपाय है कि जब गुस्सा उतरने लगे तब एक क्षण के लिए श्वास को रोक दो, नाक बन्द कर दो। श्वास के बन्द होते ही गुस्सा शान्त हो जाएगा। दीर्घ श्वास की स्थिति में कोई आवेग आ ही नहीं सकता। ___ हम प्रयत्नशील हैं कि हम अपने आप को जानें, अपने आपको देखें, अपने आप से परिचित बनें, अपने प्रति जागरूक हों। इस दिशा में पहला प्रयोग है-श्वासप्रेक्षा, श्वास को देखना । जिस व्यक्ति ने श्वास को देखना शुरू कर दिया, उसने अपने व्यक्तित्व को समझना शुरू कर दिया, अपने आपको समझना शुरू कर दिया। श्वास के प्रति हमारी जागरूकता होती है, इसका गहरा अर्थ होता है कि हम अपने समूचे व्यक्तित्व के प्रति जागरूक बन जाते हैं । हर आदमी यह चाहता है कि उसका व्यक्तित्व प्रभावी बने । शक्तिशाली बने, सफल बने। कोई भी आदमी असफल रहना नहीं चाहता । कोई भी आदमी अपनी ही स्थिति में रहना नहीं चाहता। वह आगे बढ़ना चाहता है, विकास करना चाहता है । परन्तु विकास वही कर पाता है जो अपने व्यक्तित्व का प्रभावी ढंग से निर्माण कर लेता है । जो अपने व्यक्तित्व को निर्मित नहीं करता उसके आगे बढ़ने की सारी सम्भावनाएं समाप्त हो जाती हैं।
व्यक्तित्व के निर्माण का सबसे अच्छा सूत्र है--अपने प्रति जाग जाना । अपने प्रति जागने का सूत्र है-श्वास के प्रति जागरूक हो जाना । जब आदमी श्वास के प्रति जागरूक होता है तब धीरे-धीरे उसमें ऐसी चेतना का विकास होता है जिससे अनावश्यक आने वाले विचार समाप्त हो जाते हैं।
जागरूकता का एक अर्थ होता है--वर्तमान में जीना। आदमी का ज्यादा समय या तो अतीत में बीतता है या भविष्य में बीतता है । वह या तो अतीत की स्मृतियां करता रहता है या भविष्य की कल्पनाएं करता है । वह सपने संजोता रहता है, वर्तमान की ओर ध्यान ही नहीं देता । सफलता का महान सूत्र है-वर्तमान में जीना। जो व्यक्ति वर्तमान को पकड़ना जानता है, वर्तमान में जीना जानता है, वह अपनी शक्तियों का बहुत बड़ा संग्रह कर सकता है, उनका उपयोग कर सकता है। किन्तु आदमी की आदत ही ऐसी बन गई कि वह वर्तमान में जीना नहीं जानता। वह भोजन करने बैठता है पर वास्तव में वह भोजन कहां करता है ! वह चिन्तन में बह जाता है, कल्पना करने लग जाता है, अतीत की स्मृतियों में उलझ जाता है, भविष्य के सपने संजोने लग जाता है । वर्तमान में उसको प्राप्त कार्य है भोजन
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