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जागरूकता
व्यक्तित्व में जो उतार-चढ़ाव आते हैं, वे सब श्वास के कारण आते हैं। आदमी छोटा श्वास भी लेता है और अभ्यास करके बड़ा श्वास भी लेता है । छोटे श्वास के समय व्यक्तित्व की एक स्थिति बनती है और गहरे श्वास के साथ व्यक्तित्व की दूसरी स्थिति बनती है। जब गुस्सा आता है, उत्तेजना बढ़ती है, बुरे विचार आते हैं, तब श्वास की स्थिति एक प्रकार ही बनती है और साथ ही साथ हृदय की धड़कन भी बदल जाती है श्वास और हृदय की धड़कन का गहरा संबंध है । आवेग की स्थिति में श्वास की संख्या बढ़ जाती है । श्वास की संख्या बढ़ने का अर्थ है-आयु का कम होना। श्वास की संख्या के कम होने का अर्थ है-आयु का दीर्घ होना, स्वास्थ्य का अच्छा होना और शक्ति का व्यय कम होना।
हमारे जीवन का महत्त्वपूर्ण सूत्र हैं-श्वास । श्वास की गति के आधार पर पूरे व्यक्तित्व को मापा जा सकता है। मनोवैज्ञानिक लोग अपने ढंग से व्यक्तित्व का मापन करते हैं। उनकी प्रश्नावलियां हैं। उनके आधार पर तथा अन्य कुछेक टेस्टों के आधार पर व्यक्तित्व का अंकन करते हैं । श्वास भी व्यक्तित्व के अंकन का महत्त्वपूर्ण साधन है । नाड़ी की गति, हृदय की गति, श्वास की गति- इन तीनों के आधार पर व्यक्तित्व की व्याख्या की जा सकती है । यह बताया जा सकता है कि व्यक्तित्व का स्वभाव कैसा है ? उसका चरित्र कैसा है ? वह छिछला है या गम्भीर ? उसकी आदतें और रुचियां कैसी हैं ? श्वास हर आवेग के साथ बदलता है। हमारे चित्त में आवेग और आवेश होते हैं, वासनाएं और कामनाएं होती हैं। जिस समय जो आवेग जागता है, मस्तिष्क में जो तरंग उठती है, उस समय श्वास भी वैसा ही बन जाता है । यदि श्वास का रासायनिक विश्लेषण किया जाए तो यह स्पष्ट ज्ञात हो जाएगा कि प्रत्येक आवेग के साथ-साथ श्वास में कितना परिवर्तन आ जाता है।
दीर्घ श्वास एक महत्त्वपूर्ण प्रक्रिया है। श्वास जितना गहरा होगा, आवेग उतना ही कम हो जाएगा। आवेग को कम करने का यह महत्वपूर्ण साधन है। __एक आदमी ने पूछा-गुस्सा बहुत आता है। उसको मिटाने का उपाय क्या है ? ___ मैंने कहा-तुम लम्बा श्वास लेना शुरू कर दो, क्रोध कम हो जाएगा। जब लम्बे श्वास का अभ्यास होगा, तब उत्तेजना अपने आप कम हो जाएगी।
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