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________________ .१२२ एकला चलो रे केवल काल्पनिक । एक कहता है मुझे ठंड लग रही है और दूसरा कहता है मुझे गर्मी लग रही है । एक उठता है, खिड़की को बन्द कर देता है। दूसरा उठता है खिड़की को खोल देता है । टी० टी० आया, यह अभिनय देखा और बोला-"क्या अभिनय हो रहा है रेल में ! चलती गाड़ी में क्या खेल खेला जा रहा है !" एक ने कहा, "हवा बहुत तेज चल रही है, मुझे ठंड लग रही है।" दूसरा कहता है, "खिड़की बन्द हो जाती है, मुझे बहुत गर्मी लग रही है, परेशान हो रहा है।" टी० टी० गया खिड़की के पास में और जाकर देखा तो फेम तो है लेकिन शीशा है ही नहीं । अब कैसे हवा लग रही है और कैसे गर्मी लग रही है ? मात्र काल्पनिक समस्या ।। पती-पत्नी के बीच भैंस लाने की योजना बन रही थी। बात चल पड़ी कि भैंस लायेंगे, दूध होगा, गर्म करेंगे और मलाई आएगी। अब पत्नी बोली कि मलाई तो मैं अपनी मां को खिलाऊंगी। पति बोला--यह कैसे हो सकता है ? हमारे घर में भैंस ! सब कुछ सार-सम्भाल तथा सारा श्रम तो हम करें और मलाई तुम अपनी मां को खिलाओगी, यह नहीं हो सकता। ऐसी तेज लड़ाई हो गयी आपस में कि पड़ोसी इकट्ठे हो गए। पूछा बात क्या है ? तो पता चला कि मलाई को लेकर लड़ाई चल रही है। एक पड़ोमी ने कहा कि तुम्हारी भैंस मेरे खेत में आ गयी, मेरे खेत को चर गई इसलिए तुम्हें हरजाना देना होगा । वह बोला--"भैंस तो अभी लाया ही नहीं ।" "तो मूर्ख आदमी ! क्यों लड़ रहे हो कोरी कल्पना से।" । पति-पत्नी में झगड़ा हो गया । पत्नी कहती है कि लड़के को डॉक्टर बनाऊंगी और पति कहता है कि लड़के को वकील बनाऊंगा। पड़ोसी इकट्ठे हो गए । लोगों ने कहा-अरे ! बात क्या है ? बात बतायी कि स्थिति यह है। पत्नी ने कहा-मेरी कोई बात सुनी नहीं जाती, मैंने एक ही तो बात रखी जीवन में कि लड़के को मैं डॉक्टर बनाऊंगी। बीमार रहती हं, आए दिन डॉक्टर को बुलाना पड़ता है । लड़का डॉक्टर बन जाए तो सारी समस्या हल होती है । पति ने कहा-मेरी बात भी आप लोग सुन लेना, इतने टेक्सज हो गए, इतनी समस्याएं, वकीलों के चक्कर में फंसता हूं। अगर मेरा लड़का वकील हो जाए तो सारी समस्या हल होती है। लोगों ने कहा-बात तो अच्छी लगती है । यह डॉक्टर बनाना चाहती हैं, आप उसे वकील बनाना चाहते हैं । पर लड़के की इच्छा क्या है, यह तो जान लो। तब दोनों ने कहा ---लड़का तो अभी पैदा ही नहीं हुआ है। : Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003058
Book TitleEkla Chalo Re
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherTulsi Adhyatma Nidam Prakashan
Publication Year1985
Total Pages320
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Discourse
File Size14 MB
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