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अज्ञात द्वीप की खोज
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जा सकती हैं। देखने का अपना-अपना नियम है। कुछ बातें खुली आंखों से देखी जाती हैं तो कुछ आंखें मूंदकर देखी जाती हैं। सबका नियम एक नहीं होता, दर्शन के अपने-अपने नियम होते हैं। आंखें मूंदने पर जो सच्चाइयां सामने प्रकट होती हैं वे खुली आंखों से प्रकट नहीं होतीं । हमारे सामने समस्याएं हैं, हम स्वीकार करें इस बात को । प्रत्येक मनुष्य के सामने समस्याएं होती हैं । इस दुनिया में जन्म ले और उसके सामने समस्या न हो; यह मानना सबसे बड़ा असत्य है। कोई भी आदमी हमारी दुनिया में जन्म लेगा, उसे समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। औरों की बात छोड़ दें, मैं कहना चाहूंगा कि लोग कहते हैं कि भगवान् सबसे बड़ा होता है, लोगों को भाषा में कहना चाहता हूं कि भगवान् भी अगर अवतार ले ले तो दुनिया में अवतार लेने के बाद उसे समस्याओं का सामना करना पड़ेगा । वह भी समस्या से मुक्त नहीं हो सकता। __ हमारी परिस्थितियां, हमारा वातावरण, हमारी संक्रमणता, यह सौरमण्डल का प्रभाव, सामाजिक प्रभाव, विचारों का प्रभाव, मानसिक चिन्तन का प्रभाव, यह स्मृतियों और कल्पनाओं का मंथन ऐसा है कि कोई भी आदमी समस्या से मुक्त रह नहीं सकता और समस्या से मुक्त होकर जी नहीं सकता । कुछ समस्याएं काल्पनिक होती हैं तो कुछ वास्तविक होती हैं। भूख लगती है, समस्या है, रोटी की समस्या है, इसे हम काल्पनिक नहीं मान सकते । काल्पनिक कैसे ? वास्तविक समस्या है। रोटी खाते हैं, समस्या का समाधान हो जाता है। रोटी नहीं मिलती है, समस्या प्रबल हो जाती है। जीवन की अनिवार्य जितनी आवश्यकताएं हैं वे वास्तविक समस्याएं हैं । कुछ समस्याएं हमारी काल्पनिक भी हैं। काल्पनिक समस्याएं भी कम भयंकर नहीं होतीं। जितनी यथार्थ की समस्याएं भयंकर होती हैं उतनी ही काल्पनिक समस्याएं भयंकर, उससे भी ज्यादा भयंकर होती हैं और मुझे तो यह लगती है कि शायद आदमी काल्पनिक समस्याओं से ज्यादा आक्रांत होता है। वास्तविक समस्याएं बहुत थोड़ी हैं, इनी-गिनी। किन्तु काल्पनिक समस्याओं का कहीं अन्त नहीं है । इतनी जटिल समस्याएं जो प्रतिदिन हमारे सामने उभरती हैं, मैं इंगित कर देना चाहता हूं किस प्रकार काल्पनिक समस्याएं मनुष्य को सताती हैं।
आपने कहानी सुनी होगी, दो यात्रियों की, जो पास में बैठे थे। ट्रेन में लड़ाई हो गयी। लड़ाई का कारण, एक समस्या । समस्या काल्पनिक,
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