________________
अज्ञात द्वीप की खोज
समुद्र को दो रूपों में देखा गया है-शान्त और तरंगित । जीवन को भी इन दो रूपों में देखा गया है-शान्त और तरंगित । जीवन कभी बहुत शान्त होता है और कभी तरंगें ही तरंगें, उत्ताल तरंगें, ऊर्मियां ही ऊर्मियां । कल्पना नहीं की जा सकती, यह वही जीवन है; कल्पना नहीं की जा सकती, यह वही समुद्र है । जब भयंकर तूफान आता है, समुद्र का रूप बदल जाता है । जब भाव की तरंगें, विचार की तरंगें उठती हैं जीवन का स्वरूप भी बदल जाता है । यह वही जीवन है, ऐसा सोचना, अनुमान करना भी कठिन हो जाता है । उन तरंगों के बीच, उन तरंगों के नीचे एक शान्त समुद्र होता है। एक शान्त जीवन होता है। उसे खोजना बहुत जरूरी है। जीवन एक महा-ग्रन्थ है । दुनिया में इससे बड़ी कोई पुस्तक नहीं है। इससे बड़ा कोई ग्रन्थ नहीं है। यह महाग्रन्थ है, जिसका प्रत्येक पृष्ठ रहस्यों से भरा है। प्रत्येक पृष्ठ को समझना, उसके रहस्यों को जानना, सबसे बड़ी पहेली है । आज तक हजारों-हजारों लोगों ने प्रयत्न किया पर इस महाग्रन्थ को पढ़ने में सफल नहीं हुए।
जीवन तीन तत्त्वों से निर्मित हुआ है-श्वास, प्राण और चेतना। श्वास ज्ञात है । प्राण कुछ ज्ञात और कुछ अज्ञात है । चेतना बिल्कुल अज्ञात है। चेतना के बारे में हमारी जानकारी सबसे कम है। प्राण के बारे में उससे ज्यादा और श्वास के बारे में और ज्यादा। श्वास स्पष्ट है, हम जान लेते हैं । हमारे जीवन का लक्षण बना हुओ है श्वास । श्वास लेने वाला जीवित आदमी होता है और श्वास न लेने वाला मृत होता है। यह हमारी पहचान है और बहुत पुरानी पहचान है ।
प्राण के बारे में हमारी जानकारी बहुत कम है। प्राण श्वास का हेतु है। प्राण है तो श्वास आता है और प्राण नहीं है तो श्वास नहीं आता । हमारे जीवन में प्राणशक्ति का एक प्रवाह है । जीवन का मतलब ही होता हैप्राण । प्राण धारण करना, जीना । हमारा श्वास प्राण पर निर्भर है । लोग यह मानते हैं कि शरीर में विटामिन्स पर्याप्त हैं, तत्त्व पर्याप्त हैं—जितना
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org