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रचनात्मक दृष्टिकोण
११५ गुजरो। सबका ध्यान तुम्हारी ओर खिंच जाएगा और तुम्हारे फोटो लिये जाएंगे। अखबारों में छपेंगे और तुम प्रसिद्ध हो जाओगे। ___'येन केन प्रकारेण' की सीमा में साधन-शुद्धि का प्रवेश ही नहीं होता। वहां जिस किसी तरीके से लक्ष्य प्राप्त करने का ही ध्यान रहता है। समाज की रुग्णता का यह बहुत बड़ा कारण है। वही समाज स्वस्थ रहता है जो सत्यनिष्ठ होता है, प्रामाणिकता को सर्वोपरि मूल्य देता है। जब एक आदमी प्रामाणिकता से च्युत होता है तो दूसरा च्युत क्यों नहीं होगा ? जब सभी लोग अप्रामाणिकता के चक्रव्यूह में फंस जाएंगे तो कोई कैसे सुखी रह पाएगा? ठगाई किसकी ? __ आज हिंसा अहिंसा के कंधों पर बैठकर चल रही है। आज बेईमानी ईमानदारी के कन्धों पर बैठकर चल रही है। यदि सारे बेईमान हो जाएं तो बेईमानी चल ही नहीं सकती। बेईमानी को ईमानदारी का सहयोग है, तभी वह चलती है। ___ एक किसान शहर में आया । गहनों की दूकान पर गया। गहने खरीदे, सोने के गहने, चमकदार । दूकानदार ने मूल्य मांगा। किसान ने कहा-मेरे पास मूल्य नहीं है, रुपये नहीं हैं। घी का घड़ा भरा हुआ है। आप इसे ले लें और गहने मुझे दें। सौदा तय हो गया। दूकानदार भी प्रसन्न और किसान भी प्रसन्न ।
किसान घर गया। अपने गांव के सुनार को गहने दिखाये। उसने परीक्षण कर कहा-तुम ठगे गये। नीचे पीतल है और ऊपर स्वर्ण का झोल । किसान ने सोचा-मैंने सेठ को ठगा तो सेठ ने मुझे ठग लिया ।
सेठ घर गया। घी को दूसरे बर्तन में डालना चाहा। ऊपर घी था, नीचे कंकड़-पत्थर । माथे पर हाथ रखकर सोचा-मैं ठगा गया। मैंने किसान को ठगा और किसान ने मुझे ठग लिया। ___किसान सोचता है-मैंने सेठ को ठग लिया। सेठ सोचता है-मैंने किसान को ठग लिया। कोई नहीं ठगा गया । सौदा बराबर हो गया। जब पूरा समाज अनैतिक होता है तो कौन किसको ठगेगा ? कौन ठगा जाएगा? सभी सोचते हैं मैंने उसको ठग लिया, पर ठगे सभी जाते हैं। बेईमानी जब व्यापक होती है, तब सब ठगे जाते हैं । अकेला कोई नहीं ठगा जाता।
समाज में ईमानदार लोग भी रहते हैं। इस ईमानदारी के कंधे पर
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