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रचनात्मक दृष्टिकोण
१. मानसिक शान्ति
२. समस्या - मुक्ति ३. अनासक्ति
४. करुणा
५. सत्यनिष्ठा
रचनात्मक दृष्टिकोण वाले समाज में ये पांच घटनाएं स्वतः घटित होती
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हैं ।
१ मानसिक शान्ति
आज के इस तनावपूर्ण युग की बड़ी समस्या है मानसिक अशांति । उसका मूल कारण है कि आदमी का दृष्टिकोण रचनात्मक नहीं है । जब दृष्टि रचनात्मक होती है तब मानसिक शांति अपने आप आती है । और तब आदमी - परम प्रसन्न रहता है । उसकी उलझनें समाप्त हो जाती हैं । वह भयमुक्त जीवन जीता है ।
२. समस्या- मुक्ति
रचनात्मक दृष्टि से समस्या से छुटकारा मिल जाता है । समस्या उलती नहीं । वह आती है और सुलझ जाती है। एक होता है समस्या का चक्र - और एक होती है केवल समस्या । समस्या का चक्र पीड़ाकारक होता है । समस्या तो आती है और चली जाती है । जब समस्या का चक्र बन जाता है -तब सुलझने की बात नहीं होती । एक समस्या दूसरी को पैदा करती है और दूसरी समस्या तीसरी समस्या को पैदा कर देती है । यह निरन्तर चक्र चलता है, कहीं अन्त नहीं आता वह अनन्त बन जाता है । समस्याओं के पुट -लगते जाते हैं, कहीं भी वे समाप्त नहीं होते । जब दृष्टिकोण रचनात्मक होता है तब समस्याओं का चक्र नहीं होता, समस्या अन्तहीन नहीं होती । वह आती है और उसका समाधान मिल जाता है ।
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३. अनासक्ति
आवश्यकता पूर्ति की बात सदा रहती है, पर यथार्थ के प्रति गाढ़ आसक्ति नहीं होती । आवश्यकता पूर्ति एक बात है और आसक्ति दूसरी बात है । अपने जीवन की अनिवार्य आवश्यकताओं को पूरी करना यह तो अनिवार्यता है, किन्तु पदार्थों के प्रति आसक्त हो जाना, अनिवार्यता नहीं है । यह तो स्वयं का ही व्यामोह है ।
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