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रचनात्मक दृष्टिकोण
स्वस्थ और रुग्ण
सामाजिक स्वास्थ्य का छठा सूत्र है-रचनात्मक दृष्टिकोण ।
व्यक्ति स्वस्थ भी होता है और रुग्ण भी । स्वास्थ्य की परीक्षा तीन दृष्टियों से की जाती है-शारीरिक दृष्टि से, मानसिक दृष्टि से और भावनात्मक दृष्टि से। आदमी शरीर की दृष्टि से स्वस्थ होता है, रुग्ण होता है, मानसिक दृष्टि से स्वस्थ होता है, रुग्ण होता है, भावनात्मक दृष्टि से स्वस्थ होता है, रुग्ण होता है।
इसी प्रकार समाज स्वस्थ भी होता है और रुग्ण भी होता है । जब समाज का दृष्टिकोण सही नहीं होता तब समाज रुग्ण हो जाता है और जब समाज का दृष्टिकोण सही होता है तब वह स्वस्थ हो जाता है। दृष्टि और आचारव्यवहार दोनों परस्पर जुड़े हुए हैं। आदमी का आचार-व्यवहार वैसा ही होगा जैसा उसका दृष्टिकोण होगा । पहले दृष्टि बनती है, फिर आचार-व्यवहार होता है । मिथ्या दृष्टिकोण वाला समाज रुग्ण होता है और सम्यक् दृष्टिकोण वाला समाज स्वस्थ होता है। रचनात्मक दृष्टिकोण समाज के स्वास्थ्य का लक्षण है। रचनात्मक दृष्टिकोण क्या है ? ___प्रश्न है कि रचनात्मक दृष्टिकोण किसे कहा जाए ? जो दृष्टिकोण स्वार्थप्रधान होता है वह रचनात्मक नहीं होता, ध्वंसात्मक होता है। स्वार्थ का संयम किए बिना दृष्टिकोण रचनात्मक नहीं हो सकता। जिस समाज में स्वार्थ को संयमित करने की क्षमता होती है, उसका दृष्टिकोण रचनात्मक होता है । बहुत सारे लोग केवल अपने विषय में ही सोचते हैं । जहां स्वयं का स्वार्थ प्रधान बनता है, वहां समाज गौण हो जाता है । यह समाज की रुग्णता का एक चिह्न है। स्वार्थप्रधान दृष्टिकोण
एक आदमी जंगल में पेड़ काट रहा था । उसे वहां एक कुल्हाड़ी मिली। उसने सोचा-यह कुल्हाड़ी मुझे मिली है। यह मेरी है। दूसरा साथी उसके
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