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व्यसन-मुक्ति पहले दिन के अभ्यास में जितनी नीरसता लगती है, दस दिन के अभ्यास-काल के बाद नहीं लगती। पहले दिन जो दूरी होती है ध्यान के साथ उनकी वह दस दिन के पश्चात् इतनी दूरी नहीं होती। जो ध्यान के अभ्यास से गुजरते हैं, उनको ऐसा अवश्य ही अनुभव होता है । ___ व्यसन-मुक्ति ध्यान की एक फलश्रुति है। व्यसन इसलिए बुरा है कि उसके द्वारा चेतना का विलोप होता है, चेतना का भ्रंश होता है, जागरूकता कम होती है, मूर्छा बढ़ती है। ध्यान की प्रक्रिया से चेतना जागती है, मूर्छा कम होती है और एकाग्रता का विकास होता है । ध्यान ही एक ऐसा माध्यम है जिससे आदतों का रूपान्तरण सम्भव है, वर्जनाओं से वह कभी संभव नहीं
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