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________________ करड़ो कोई काम, अणचित्यो आवै अगर । समरो भिक्खू स्याम, संकट टलसी श्रावका ! ७०॥ तीखा-तीखा तीर, मत मारो थे मरम का। चिल ज्यादै चित चीर, शब्दां साटै श्रावका ! ७१॥ तारक तेरापन्थ, भिक्षू गणि खोज्यो भलो। अडिग मना अत्यन्त, सुर तरु सेवो श्रावकां!७२।। माता-पिता समान, का भाई भल भाव स्यूं । मित्र मित्र मतिमान, सोक बण्यां मत श्रावका !७३।। सालै नान्ही शूल, खिण-खिण मै खटको रहै । शंका है प्रतिकूल, सुध समकित मै श्रावकां!।७४॥ अटल मना आत्मस्थ, अविचल करो उपासना । मत बणज्यो मध्यस्थ, संत-सत्यां रा श्रावका !७५।। अणसमझू अणजाण, बात विचार सके नहीं। नाहक ही नुकसाण, सटकै करलै श्रावकां!७६।। सुगुण सयाणां संग, टालोकड़ रो टालज्यो। रंग्या शासण-रंग, सदा रहीज्यो श्रावकां!७७।। निन्दक स्यूं अति नेह, अपछन्दा स्यूं प्रीत अति । खिण मै उडज्या खेह, श्रावकता की श्रावकां!।७८॥ हिंसा स्यूं तज हेत, अमल अहिंसा आचरो। खड्या रहो रण खेत, समय पड्यां थे श्रावकां !।७६॥ मिनख, मिनख रो मोल, मिनखपणे स्यूं मापसी। त्याग-तराजू तोल, शासण मै है श्रावकां!1८०॥' श्रद्धा विनय समेत, धारो आगम धारणा। रल नहिं ज्यावै रेत, सरस सुधा मै श्रावकां!८१॥ श्रावक-शतक ५५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003057
Book TitleAasis
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChampalalmuni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1988
Total Pages372
LanguageMaravadi, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size10 MB
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