________________
कंकरीले मार्ग पर हमें दो-तीन बार मिल गए। कभी पीछे से आगे निकलते तो कभी आगे से पीछे रह जाते । बार-बार यों आड़े-आड़े आते देख भाईजी महाराज ने फरमाया —— हमें तो अभी साठ भी नहीं आये हैं, जिसमें यह हाल है और बाबा चौरासी में भी गाडा गुड़का रहा है
'छग्ग-बा गमेती बावो, आवै आड़ो- आड़ो । 'चम्पक' बरस चौरासी आया, तोहि गुड़काव गाड़ो ।'
दिनांक १७ जनवरी को आत्मा गांव में आचार्यप्रवर की सन्निधि में एक चिंतन गोष्ठी हुई । श्री भाईजी महाराज ने विशेष तौर से निवेदन प्रस्तुत किया- 'जो संघीय सदस्य ८० वर्ष प्राप्त हो गए हैं उन्हें संघीय काम-काज से मुक्त किया जाना चाहिए । अस्सी वर्ष के बाद की उमर काम करने की नहीं होती। संघ के उन वयोवृद्धों का इतना सम्मान तो होना ही चाहिए । एक उमर के बाद हर क्षेत्र में कार्यं - मुक्ति (रिटायरमेंट) मिलती ही है । छग्गू बा का उदाहरण पेश करते हुए भाईजी महाराज ने जोर दिया। आचार्यप्रवर भाईजी महाराज की इस दयालुता पर पिघले और छग्गू - बा को आजीवन सामूहिक कार्य भार से मुक्त किया। श्री भाईजी महाराज आदरणीय वृद्धों के प्रति उदार, दयालु तो थे ही, पर समय पर शास्ता को उचित निवेदन करने से भी नहीं चूकते थे ।
२८८ आसीस
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org