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________________ बी कूअं पडतां नै राख्यो, हाथ झाल प्रेमालू । अबे पकड़ काढ़ो तो जाणूं, रोज कहै ओ बालू ॥ ६ ॥ बालू ! हाल के बीगड्यो, कर हिम्मत अविखिन्न । मित्रता को अमिट, 'चम्पक' मांडै चिह्न ॥ १० ॥ असल बाबू अब पास होग्या, मामाजी आई शरम, छोड दी बीड़ी, चम्पो अपणो-सो पर दुख हुवै, चिलचट्टै स्यूं छूटगी, कहो करणियों के करें, एक रुपैये में टली, मार्यो तीर । खांच लकीर ॥ ११॥ जाण्यो लाड़ांजी arरूपजी री घटी, घटना घड़गी इतिहास । इं अनित्य संसार स्यूं, 'चम्पक' बग्यो उदास || १४ || सन्तां ! गरज दूध री पाले, लाडणूं रो पाणी । हर मोसम मैं साताकारी, हेल्यां बड़ी सुहाणी ॥ इर्या समिति देख'र चालो, चेतावै अ कांटा । आस-पास रा गांव बसावे, लाडणूं रा भाटा ।। १५ ।।। सीधी पट्ट्यां सांतरी, और दूध सो सन्तां ! म्हारो लाडणूं, लन्दन री १८६ आसीस जद बाड़ खेत ने खाय । 'चम्पक' कुसंग समेर पूनू - सागर जस्सू - रणजीतो पेहर्या ओढ्या देव कुंवर-सा, अ बैंगाणी परिवार अनोखो देखो ! दगग- दगग रस्तो बेहव है, जाण Jain Education International पेहलां - पेल । गेल ॥ १२ ॥ री - झाड्यां । धोरा तप-ठरै, कट ज्यावै - ओला- बोझा बारह ही पून्यूं सुखदाई, (अं) लाडणूं री बाड्यां ॥ १७ ॥ - हनुमान | टाबर पुनवान ॥ मन रो कोड । हरिसन - रोड ॥ १८ ॥ जद राम चरित्र मंडासी, गणिवर ढ़ालां फरमासी । बलाय ।। १३ ।। For Private & Personal Use Only पाणी । सहनाणी ॥ १६॥ - www.jainelibrary.org
SR No.003057
Book TitleAasis
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChampalalmuni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1988
Total Pages372
LanguageMaravadi, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size10 MB
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