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________________ ( इण अठहत्तर दूहां में अठहत्तर संस्मरण आयोडा है । वे अन्त में क्रमवार हिन्दी भाषा में दीयोडा है ।) आपसरी मै बांटकर, खाणो सदा हाल काम आवै संन्तां ! (बै) माजी रा पडूं परायी भीड़ मैं, 'चम्पक' हलदी - दूधरी, जद (बा) कद हुवै प्रमाद | घटना आवै याद ॥२॥ कह्यो न सदतो, रेंवतो, ( म्हारो ) तोरो चढ्यो अकास । पड़ी प्रकृति जावै कियां, सन्तां ! सोहरै सास || ३ || खुवार | संस्कार ॥ १ ॥ सोचूं आज हंसी आवै, बो भी हो कुछ टाबरपण । रोयो दादोजी ₹ सागै बैकूंठी मैं बैठण | हप-हप कर चिता जली जद, पड्यो एक पलको सो । 'चम्पक' चमक्यो चित चेतना को अनुभव हलको सो ॥४॥ म्हें लड़ पड़ता शान मैं, पत्थर फेंक अजाण । अखी प्रमाण लिलाड़ मैं (ओ) 'चम्पक' पड्यो निसाण ||५|| पकड़ पूंछड़ी उंदरड़ी, मै ल्यातो मन-मोद | डर लाडांजी भाजता, बड़ता मां की गोद ॥६॥ Jain Education International किरचा रोज चुरावतो, लुक-छिप भर-भर मुट्ठी । ल्हापां मैं चनपट पड़ी, 'चम्पक' चोरी छूटी ॥७॥ मैं राणावजी र कुनै, डुब्यो जद उगी किरण वैराग री, मोत कोठा मैं । दीसगी सामैं ||८|| संस्मरण पदावली १८५ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003057
Book TitleAasis
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChampalalmuni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1988
Total Pages372
LanguageMaravadi, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size10 MB
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