________________
पत्र संख्या ३३
बैंगलूर २०२६ भादवासुदी ११/१२
दोहा
तन-बल ज्यूं-ज्यूं तनु हुवे, मन-बल कै मजबूत । काची नहिं ताकै कदे, सूरा सिंह सपूत ॥१॥ रांगड-रण. मै रत रहै, रढ़ियालो रजपूत । जुग-जुग रेहसी जींवती, लाडां! सबल सपूत ॥२॥
साहस लाडां रो सुणं, तो पौरुष चदै प्रचूर । मिलण री मन मै घणी, पण पैंडो अति दूर ॥३॥
पद्यात्मक पत्र १७७
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org