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आशुकवि सोहनलाल सेठिया (सरदारशहर) के प्रति
स्याणो सोहन सेठियो, समझदार समयज्ञ। शासण र इतिहास रो, संग्राहक मर्मज्ञ ॥१॥
मालचन्द जी रा मिल्या, शुभ सात्विक संस्कार। विमल विवेकी विज्ञ वर, गहर गंभीर विचार ।।२।।
अन्तरंग-पार्षद असल, विधि-वेत्ता विश्वस्त । टाबर होकर ठिमर-सा, लिखतो पत्र प्रशस्त ॥३॥
आंख इशारे ओलखतो, आशय इंगियागार। अति उपयोगी आशु-कवि, उद्यमशील उदार ॥४॥
बिनय मढ़ी, बोली बडी, घड़ी बुद्धि बजराट । जुड़ी-कड़ी सोहन श्रमण-सागर की गधाट ॥५॥
आस्था गणि-गण री सुदृढ़ श्रद्धावान सुभाष । स्मरण-शक्ति अद्भुत उपज, अहं न आयो पास ॥६॥
वर्तन चिन्तन कथन हो, अनुशीलन अनुरूप । 'चम्पक' सोहन चमकग्यो, श्रावकता रो स्तूप ॥७॥
यादगार १६१
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