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दूखे छाती पासल्यां, दो मुनका कर साफ । हींग दो रती घालद्यो, सावल अपणै आप || ३६ || राख पुराण बोरै री, दो रत्ती शहद मिलाय । चाटै मलेरिया एकान्तर, चोथ तेजरो जाय ॥ ४० ॥
खासी
खांड फिटकड़ी रो फूल्यो द्यो जलस्यूं औषधि सेहली । दो-दो घंटा स्यूं दो पुड़ियां बुखार चढ़ियां पेहली ॥ ४१ ॥
गलै रो इलाज
शरदी स्यूं दूखै गलो, उन्हे जल रै साथ । करो गिरारा लूंण का, सन्तां ! मानो बात ॥४२॥
गरमी स्यूं सूकै गलो, चिपज्यावै जो कंठ । ठंडे पाणी स्यूं करो, कुरला तज अंट-संट ||४३||
करो गरारा हींग रा, जो होवै स्वर-भंग । मिटै खरखरी गलै री, कवोष्ण जल र संग || ४४ ||
कफ रो हुवै प्रकोप तो, जरा फिटकड़ी घोल । करो गारगल कफ झड़ै, जय- भिक्षु की बोल ||४५ ||
तैल गुणगुणो तिली रो जको कान मैं घालै । चमत्कार बो गलै रा टोन्सल, सुजन मिटाले ॥ ४६ ॥
त्यो अरहर की दाल रो थोड़ो उबल्यो पाणी । करो गरारा मुनिजनां ! जो टोन्सल सुजन मिटाणी ॥४७॥
च्यार-पांच काली मिरच डली लूंग की न्हांक । चाबो पाणी मत पिओ, खासी जाय चटाक ||४८ ||
रगड़ व्यार पिस्ता मियां, चाटै शहत मिलाय । सूखो कफ खलकै तुरत, 'चम्पक' त्यो अजमाय ॥ ४६ ॥
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घासो - गोली १४६
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