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लेखो अगलो लारलो, लख कर 'चम्पक' बोल। मते मिणीज मिनख रो, एक मिनट मै मोल ॥५७।।
'चम्पक' जीवन-जीतणो, खुलो खिलाणो नाग । काजल री आ कोठरी, लाग न ज्यादै दाग ।।५।।
बहु-बेट्यां पर बेअकल, फाड़े आंख फिजूल । 'चम्पक' बी बदकार रै, धोबां-धोबां धूल ॥५६॥
बिना फेम बोल्यां बधै, बेमतलब रो बैर। ओरां पर आरोप स्यूं, 'चम्पक' हुवै न खैर ॥६०॥
बिगडायल बदनीत तो, बोले आल पंपाल । 'चम्पक' चेतो राख तूं, अपणो आप संभाल ॥६१॥
कोई स्यं करणी नहीं, बिना जरूरत बात। बहु बोलै री बीगड़े, 'चम्पक' जग प्रख्यात ॥६२॥
चालो चोखी चाल मै, करज्यो चोखा काम । 'चम्पक' संशय मत करो, रेख राखसी राम ॥६३।।
ओरां रो अवगुण करण, घड़ मत ओघट घाट । 'चम्पक' मेलै मिनख रो, मिटै नहीं ओचाट ॥६४॥
टेम टुटण रो टाल दै, 'चम्पक' चतुर सुजाण । आपसरी री बात मै, खटै न खेचां ताण ॥६५।।
सुणी सुणाई बात पर, धर मत चम्पक ध्यान । अन्तर कहण-सुणण मै, हुवै जमी-असमान ॥६६॥
मंडे-मंड कराण रो, खोटो ढालो छोड़। 'चम्पक' चुम्बक मै चतुर !, निकल न्याय निचोड़ ॥६७॥
जो चावै जग जीतणो, उत्तम एक उपाय ।।
'चम्पक' कर अहसान तूं, दुश्मण भी दब जाय ॥६॥ १२६ आसीस
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