________________
फहीड़ा फैकै पड्यो, निकमो बणण नबॉब । 'चम्पक' बादल बरसणो, गरज नहीं गुलाब !।३०॥
बलज्या, बट जावै नहीं, जड़ जेवड़ी जनाब। बचन चूक 'चम्पक' बुरो, गट गुड़ज्याय गुलाब !॥३१॥
भला आदमी! भड़क मत, ताव खा'र बे-ताब। 'चम्पक' औ भाटा भिड़ा, गुमराह करै गुलाब !॥३२॥
मन राखीजे मोकलो, मो. रा मेहराब। मांदा नै महमान नै, मरक न मार गुलाब !।३३।।
यद्यपि यूयं-युयं है, वयं-वयं .. मिजराब। 'चम्पक मिश्री मै मिल्यां, गुलकंद हुवै गुलाब !॥३४॥
रहन सहन मै राजसी, रीति-रिवाज रकाब। 'चम्पक' रंजिस रंचसी, गरदो करै गुलाब !॥३५॥
लगड़ पेच लल्लै चपै, 'चम्पक' लखै लखाब। लखणा रा लाडा लेवे, लुगड लपेट गुलाब !।३६।।
व्यवहारां मै विविदिशा, (तो) विद्या बुद्धि वियाब। 'चम्पक' विनय विवेकवर, बण गतिशील गुलाब !।३७।।
समकित संयम साथ मै संघ आथ असबाब। 'चम्पक' निर्मल चित्त स्यूं, ग्रन्थ्यां खोल गुलाब !॥३८॥
१. बड़ो आदमी। २. उतावल मै। ३. ताज। ४. सितार बजाणे को छल्लो। ५. लेण-देण। ६. लक्षण । ७. सफल। ८. सामान ।
७२ आसीस .
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org