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हसत खिलते हृदय रो, हाल, हियाव, हिसाब । 'चम्पक' न्यारो ही हुवै, घुल-मिल देख गुलाब !॥३६॥
कुंडली-छन्द चेजो चेजारो चिणे, नींवां निरख गुलाब। झड़, झाड़ो, झोलो, झिड़क, झील झिलै क तलाब ?। झील झिलैक तलाब ? खोह रख राजरूपजी की-सी। दो हजार बाइस, 'चम्पक' गुणचालीसी ॥ पूरी, पग मजबूत चाहिजे ठंडो भेजो। नींवां निरख गुलाब ! चिण चेजारो चेजो॥४०॥
गुलाब गुणचालीसी ७३
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