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________________ और नै अपणो चहै (तो) सेवा साझं सताब । 'चम्पक' चाम चबै नहीं, गमसी काम गुलाब !॥१०॥ अंतस रो ओजस बधा, आपेइ बधसी आब । 'चम्पक' चाल कुचाल स्यूं, पिचके गाल गुलाब !।११।। करड़ो नहिं कहणो कदे, ज्वर मैं जियां जुलाब । भाजन विन 'चम्पक' भलो, गम खा बैठ गुलाब !।१२॥ खाटो खारो खोपरो, खोडी खांड खिजाब'। 'चम्पक' छोडै खट् खखा, ज्ञानी संत गुलाब !।१३।। गरम-गरम गलगच, गिजो, गल्यो, गरिष्ट, गिराब।। 'चम्पक' गफलत मै गिट, (तो) गलै शरीर गुलाब !॥१४॥ घमड़ी घाती घूनरो, घपली घाव घिजाब' । 'चम्पक' घाल, घणेर मत, (अ) घातक घणा गुलाब!॥१५॥ चाय चबीणी चीकणी, चूरी चाट चटाब। 'चम्पक' चिपक्या मैं चचा, गेल न छुटै गुलाब !।१६।। छद्मस्ती री छोल मै, छल मत, छेड न जाब । 'चम्पक' चौनाणी चुक, (तो) गूमर किस्यो गुलाब !॥१७॥ जयणां 'चम्पक' जीव री, जुगतो जुगत जबाब । आं दोऊं बातां दिपै, गण मै सन्त गुलाब !।१८।। झक्की झूठो झीपरो, झोड़ी बिना हिजाब" । 'चम्पक' टकऱ्यां जो टलै, गौरव बधै गुलाब !।१६।। १. केश कल्प। २. तोप के गोले सो बिना चबायो। ३. पुराणो घी। ४. चाटणेरी आदत । ५. शर्म। ७० आसीस Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003057
Book TitleAasis
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChampalalmuni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1988
Total Pages372
LanguageMaravadi, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size10 MB
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