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५२.
चित्त और मन
को थोड़ा-थोड़ा सुलाने का अभ्यास हो जाएगा। हम बीस सेकण्ड के लिए श्वास नहीं लेते, इसका मतलब है-स्थूल मन बीस सेकण्ड के लिए सो जाता है और वह सोता है तब अन्तर्मन एकदम जागृत होने के लिए उत्सुक हो जाता है। एक मिनट के लिए इस अभ्यास में चले जाना पर्याप्त है । दस-बीस मिनट श्वास रोकने की कोशिश नहीं करनी है और वैसा करना मूर्खता की बात होगी, किन्तु आधा मिनट, पाव मिनट, इसकी पांच-दस आवृत्तियां करते चलें तो रास्ता बनता चला जाएगा।
अन्तर्शक्तियों में अन्तर्मन को जगाने की प्रक्रिया है। इसी में योग का मर्म छिपा है। जीवन विज्ञान का अर्थ
जागत मन बहुत कम शक्ति-संपन्न है। अन्तर्मन या सूक्ष्म मन बहुत शक्तिशाली है । वासनाएं, धारणाएं, मान्यताएं, संस्कार और वृत्तियां जागृत मन में नहीं है। अवचेतन मन से सब कुछ प्रवाहित होता है। जागृत मन उस प्रवाह को अभिव्यक्ति देने वाला है, क्रियान्वित करने वाला है। ऐसा प्रतीत हो रहा है-आज जागृत मन तो बहुत शक्ति-संपन्न होता जा रहा है और सूक्ष्म मन या अन्तःकरण कमजोर होता जा रहा है। जागृत मन पूरा काम कर रहा है, सूक्ष्म मन सोया पड़ा है। उसे काम करने का अवसर ही नहीं मिल पा रहा है। आदमी में इतना तनाव है, इतना प्रमाद है कि सूक्ष्म मन को कार्य करने का मौका ही नहीं मिलता । जीवन विज्ञान की प्रक्रिया के आधार पर कुछ नियम खोजे गए हैं जिनके आधार पर अन्तःकरण को, शुद्ध चेतना को, अवचेतन मन को जगाया जा सकता है । न केवल जगाया जाता है, किन्तु उसका परिष्कार भी किया जा सकता है। शक्ति जागरण के सूत्र
शक्ति-जागरण का अभ्यास जटिल नहीं है। उसमें कुछेक तथ्य अपेक्षित होते हैं। पहला तथ्य है-शिथिलीकरण । प्रत्येक शक्ति के जागरण में इसका महत्त्वपूर्ण योग है । मन का शिथिलीकरण, वाणी का शिथिलीकरण, शरीर का शिथिलीकरण और श्वास का शिथिलीकरण किए बिना कोई भी शक्ति अभिव्यक्त नहीं होती। तनाव की स्थिति में कोई भी शक्ति जागत नहीं हो सकती। मस्तिष्क में तनाव है, शरीर में तनाव है तो यह स्थिति शक्ति 'जागरण में बाधक होती है । शिथिलीकरण अर्थात् प्रवृत्ति का विसर्जन । जब प्रवृत्ति का विसर्जन होता है तब भीतरी शक्तियों को जागने का अवसर मिलता है । भीतरी शक्तियां जागना चाहती हैं किन्तु उनके सामने प्रवृत्ति का अबरोध आ जाता है । वे जाग नहीं पातीं। जब प्रवृत्ति का अवरोध समाप्त होता है तब वे जाग जाती हैं। जो व्यक्ति कायोत्सर्ग साध लेता है, वह शक्ति जागरण का बीजमन्त्र पा लेता है।
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