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मन की शक्ति
मेरी प्रज्ञा में अवतरित हुई, अकस्मात् विस्फोट हुआ और सापेक्षवाद का अवतरण हो गया। कभी-कभी जो रहस्य चिन्तन-मनन से उद्घाटित नहीं होते वे अकस्मात् ढंग से अभिव्यक्त हो जाते हैं। स्वप्न में भी उनका अवतरण हो जाता है । स्वप्न में ऐसे अनेक फार्मुले, नियम ज्ञात हुए हैं, जो वर्षों के चिन्तन और मनन के बाद नहीं हो पाए थे। इस प्रकार आकस्मिक ढंग से होने वाले रहस्योद्घाटनों का मूल स्रोत हमारे भीतर है वह है हमारी प्रज्ञा । वह है अन्तर्-चेतना । जो खोज बुद्धि से नहीं होती, वह अन्तःप्रेरणा से, प्रज्ञा से हो जाती है। जागरण का परिणाम
जब हमारा स्थूल मन जागता है तो सूक्ष्म मन सोया रहता है। चेतन मन जागता है तो अवचेतन मन सोया रहता है। और अवचेतन मन जागता है तो चेतन मन सोया रहता है। अवचेतन मन का जागना जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है। अवचेतन मन का जागना हमारे जीवन में शक्तियों के स्रोत को खोल देना है, शक्ति को प्रभावित कर देना है। इतना प्रभावित कर देना है कि जिसकी हम इस जागते मन से कभी कल्पना भी नहीं कर सकते । जिन शक्तियों का हम कभी स्वप्न भी नहीं ले सकते वे शक्तियां जाग जाती हैं, उनके द्वार खुल जाते हैं। इसी का नाम है-योग। योग के द्वारा उसको खोल देना है - जिसके पार ऐसी शक्तियां भरी पड़ी हैं जिसे आप ईश्वरीय, मोक्षीय या कुछ भी कहें। मानवीय जीवन में रहस्योद्घाटन हो सकता है । वह हो सकता है इस स्थूल मन को सुलाने के द्वारा । यह बच्चा जब तक नहीं सोएगा तब तक कोलाहल करता रहेगा। बच्चे को सुलाना बड़ा कठिन है । समझदार आदमी को सुलाया जा सकता है पर बच्चा जब रोने लग जाता है तब उसे सुलाना बड़ा कठिन होता है। यह स्थूल मन इतना हठी और आग्रही है कि इसे सुलाना मुश्किल है। अवचेतन मन को जगाकर ही इसे सुलाया जा सकता है। योग का अर्थ
___ अवचेतन मन को जगाने और स्थूल मन को सुलाने का साधन है योग । हम योग का सहारा लेते हैं। वह सहारा है-शरीर का शिथिलीकरण (शरीर को शान्त करना), श्वास को शान्त करना, मौन होना-ये तीनों जब बन्द होते हैं तब स्थूल मन सो जाता है । हम घण्टा भर कोई काम करते हैं, उसके बाद पांच-दस-बीस सेकण्ड के लिए श्वास को बन्द कर दिया या किसी दूसरे काम में लग गए, पांच मिनट बाद फिर आधा मिनट के लिए श्वास को बन्द कर दिया, अगर ऐसा दिन में दस-बीस बार दोहरा देंगे तो एक दिन उस रास्ते पर पहुंच जाएंगे जहां हमें पहुंचना है । यानि स्थूल मन
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