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चित्त और मन
पक्षियों को गिराया जा सकता है, चलते वाहनों को रोका जा सकता है । समान है पद्धति
ये आध्यात्मिक नहीं, केवल मानसिक शक्ति के प्रयोग हैं । आध्यत्मिक व्यक्ति को भी मानसिक शक्ति का जागरण करना होता है । चमत्कार दिखाने वाले व्यक्ति को भी मानसिक शक्ति का जागरण करना होता है । मानसिक शक्ति का जागरण दोनों के लिए नितान्त जरूरी है । मानसिक शक्ति के जागरण के बिना आगे नहीं बढ़ा जा सकता । दिशाएं भिन्न हो जाती हैं, ध्येय भिन्न हो जाते हैं, किन्तु जागरण की पद्धति में कोई अन्तर नहीं होता। ऐसा नहीं होता कि सदाचारी व्यक्ति के मानसिक शक्ति का जागरण हो जाता है और असदाचारी व्यक्ति के वह नहीं होता । जिसका अच्छा ध्येय है, उसके मानसिक शक्ति का विकास होता है और जिसका बुरा ध्येय है, उसके मानसिक शक्ति का विकास नहीं होता - यह नियम नहीं है । शत्रुओं को नष्ट करने के लिए किसी ने विद्या की साधना की तो वह भी सिद्ध हो गयी और किसी ने दूसरों की भलाई लिए विद्या की साधना की तो वह भी सिद्ध हो गयी ।
या कल्याण के
अध्यात्म की इयत्ता
आध्यात्म का मार्ग ही एक ऐसा मार्ग है, जहां अपवित्र मन, वचन और कर्म के लिए कोई अवकाश नहीं है । नितान्त निर्मल मन, निर्मल कर्म ही इस अध्यात्म जगत् की अपेक्षा है । यही इसकी इयत्ता है । अन्य क्षेत्रों में यह नियामकता नहीं है । कोई भी उस शक्ति को जागृत कर सकता है ।
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जागरण का प्रश्न
हमारे अवचेतन मन में दो धाराएं समानान्तर चल रही हैं। एक है अन्धकार की धारा, कृष्ण पक्ष की धारा और दूसरी है प्रकाश की धारा शुक्लपक्ष की धारा । यह नहीं कहा जा सकता - अवचेतन में सब अच्छा ही अच्छा है । उसमें अच्छा भी है, बुरा भी है । अमृत भी है, जहर भी है । उसको जगाने में खतरा भी है । यदि उसके भीतर की शक्तियां जाग जाती हैं तो वे अनेक खतरे भी पैदा कर सकती हैं । इसलिए दोनों बातें अपेक्षित है-जागरण और परिष्कार । उन शक्तियों को जगाना है और उनका परिष्कार भी करना है । यह निश्चित तथ्य है कि जब तक अवचेतन मन जाग नहीं जाता, तब तक विशेष कार्य नहीं किया जा सकता । बुद्धि के स्तर पर जो कार्य होते हैं वे महत्त्वपूर्ण अवश्य होते हैं, पर आज बहुत सारी संभावनाएं जो प्रकट हुई हैं, वे बुद्धि के स्तर पर होने वाली घटनाएं नहीं हैं । वे सारी अवचेतन मन या अन्तःकरण से संबंधित हैं । आइंस्टीन से पूछा गया - सापेक्षवाद के सिद्धांत की खोज कैसे की गई ? उन्होंने कहा— मैं नहीं जानता । मैंने उसका कभी चिन्तन ही नहीं किया था। अचानक यह बात
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