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________________ मन और चित्त विचित्र क्षमता है । यह मन की अद्भुत शक्ति है, जो थोड़ी-सी चीज के आधार पर समूची चीज का विश्लेषण कर देती है । यह क्षमता भी अभ्यास से वृद्धिगत होती है । मन की यह प्रबल शक्ति सबमें है । प्रत्येक व्यक्ति का मन इन शक्तियों को संजोए हुए है । अन्तर केवल इतना ही है कि कुछ व्यक्तियों ने अभ्यास किया, मन को पटुता दी, उसे विकसित कर लिया। कुछ व्यक्तियों ने प्रयत्न नहीं किया, उनका मन विकसित नहीं हो सका । हम मन की शक्तियों से परिचित नहीं हैं । उसमें असीम शक्तियां हैं । हम बहुत कम जानते हैं। थोड़ा-बहुत जानते हैं, उसमें भी आश्चर्य होता है । यदि हम मन की पूरी शक्तियों से परिचित हो जाएं, उन्हें विकसित कर लें तो न जाने क्या के क्या हो सकते हैं । मानसिक शक्ति : प्राण शक्ति आत्मा को देखने के दो शक्तिशाली अस्त्र हैं— मानसिक शक्ति और प्राण शक्ति । एक अस्त्र है मन का और दूसरा है प्राण का । मानसिक शक्ति का जागरण और प्राण का संचय - ये दो महत्त्वपूर्ण साधन हैं । जब मानसिक योग और प्राणिक योग सधता है तब आध्यात्मिक शक्ति की बात सहज सध जाती है । मन को शक्तिशाली बनाए बिना, प्राण की शक्ति को विकसित किए बिना यदि कोई व्यक्ति आध्यात्मिक शक्ति का साक्षात्कार करना चाहे, आत्मा को देखना- जानना चाहे तो यह चाह मात्र हो सकती है उसे सफलता कभी नहीं मिल सकती । ७८ वो स्थितियां मन बहुत शक्तिशाली है। उसकी शक्तियां प्रशिक्षण के द्वारा जागृत होती हैं। मन की दो स्थितियां हैं-प्रशिक्षित और अशिक्षित । अशिक्षित मन अपनी शक्तियों का विकास नहीं कर सकता । शक्तियां शक्तियां मात्र रह जाती हैं । आदमी सोया का सोया रह जाता है । वह कभी जागता ही नहीं । जागरण के बिना शक्ति का उपयोग ही नहीं हो सकता । जब मन एक निश्चित पद्धति से प्रशिक्षित हो जाता है तब वह आश्चर्यकारी घटनाओं को घटित करने में सक्षम हो जाता है । मन के प्रशिक्षण की एक पद्धति है । यह कोई आध्यात्मिक बात नहीं है । मन की शक्ति को जागाना कोई आध्यात्मिक घटना नहीं है, आध्यात्मिक जागरण नहीं है । जो ज्ञान, दर्शन और चरित्र में पूर्ण निष्ठावान् नहीं होते, जिनका आचरण बहुत ऊंचा भी नहीं होता, वे भी मानसिक शक्ति का जागरण कर लेते हैं। क्योंकि यह तो एक पद्धति का अभ्यास है । कोई भी इसे कर सकता | शरीर की लाघवता को घटित किया जा सकता है । शरीर को हल्का बनाना पद्धति Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003056
Book TitleChitt aur Man
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages374
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size16 MB
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