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मन और चित्त
बहुत असर होता है। मन चिन्ता से भर जाता है, अस्त-व्यस्त हो जाता है । उसके सामने भाई का, पत्नी का, पिता का, बहन का प्रश्न भी होता है। वह अकेला नहीं होता। वह उनसे वैसे ही जुड़ा होता है जैसे दूसरा सामान्य नागरिक जुड़ा हुआ होता है। उसके सामने आर्थिक प्रश्न भी होता है। इन सारी समस्याओं, प्रश्नों और उलझनों का समाधान पाने के लिए एकाग्रता और मन की निर्मलता बहुत आवश्यक है। समस्या है चंचलता
__एकाग्रता और मन की निर्मलता का एकमात्र उपाय है- ध्यान । चंचलता सारी समस्याएं पैदा करती है। जिस व्यक्ति का मन चंलत होता है, वह किसी भी क्षेत्र में सफल नहीं होता। चलल मनवाला सैनिक सफल हो ही नहीं सकता । उसके लिए एकाग्रता बहुत जरूरी है। एकाग्रता के अभ्यास से अनुशासन सहज ही आ जाता है । बाहर से लादा हुआ अनुशासन सहज नहीं होता । उस स्थिति में जब कोई दूसरा देखता है तब वह अनुशासन पाला जाता है और जब कोई नहीं देखता तब अनुशासन को पालने की जरूरत कम प्रतीत होती है । किन्तु जो व्यक्ति ध्यान का अभ्यास करता है, वह अनुशासन का पालन करेगा, फिर चाहे कोई देखे या न देखे । अनुशासन का पालन उसका धर्म बन जाता है। प्रगति का रहस्य
__ लोग कहते हैं-जापान ने बहुत प्रगति की है। प्रश्न हो सकता है कि कारण क्या है ? एक दिशान्तरण हुआ है, उनकी दिशा बदली है। उसका मूल कारण है एकाग्रता । जापानी लोगों ने ध्यान के द्वारा बहुत लाभ उठाया। वे स्वयं यह स्वीकार करते हैं कि जापान के लोग जबसे ध्यान करने लगे हैं, उन्होंने शरीर-बल पाया है, मनोबल पाया है। जापान में अनेक प्रयोग चलते हैं। ध्यान के विशेष प्रयोग करने वाला व्यक्ति मजबूत ईंटें हाथ में लेता है और उनको चूर-चूर कर देता है। एक निहत्थे आदमी में यह कला ध्यान के द्वारा विकसित हुई है। लड़ने की कला विकसित हुई है। वह शस्त्र वाले व्यक्ति के साथ लड़ सकता है और विजय पा लेता है। ध्यान या एकाग्रता का मूल्य
जापानी लोगों ने ध्यान के द्वारा मनोबल पाया है और अनुशासन पाया है । अनुशासन का इतना विकास किया कि जीवन का विसर्जन हंसते-हंसते कर देते हैं। इतना अनुशासन कि वे काम कभी बंद नहीं करते। वे हड़ताल करते हैं पर काम बंद नहीं करते। हड़ताल का प्रतीक है हाथ पर काली पट्टी बांध देना । यह क्रम अनेक दिन तक चलता है पर काम कभी बंद नहीं
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