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________________ मन की शक्ति है, शरीर को शक्तिशाली बनाने वाला भी हो सकता है, पर वह व्यक्ति को शक्तिशाली बनाने वाला नहीं हो सकता। क्योंकि हमारा व्यक्तित्व केवल शरीर का व्यक्तित्व नहीं है। उसका संबंध मन और भावना से भी है। शक्ति सुरक्षा का उपाय शक्ति का संचय और शक्ति की सुरक्षा का एक उपाय है तनाव से बचना । जो तनाव से बचना नहीं जानता, वह मानसिक दृष्टि से शक्तिशाली नहीं हो सकता और शारीरिक दृष्टि से भी उसे काफी कठिनाइयां उठानी पड़ती हैं। शरीर का तनाव शरीर की शक्ति को क्षीण करता है। मानसिक तनाव मन की शक्ति को और भावनात्मक तनाव आत्मा की शक्ति को क्षीण करता है । जब तक शक्ति को क्षीण करने वाले तत्त्वों का हमें ज्ञान नहीं होगा तब तक हम उन तत्त्वों से निपट नहीं पाएगे और उनसे निपटे बिना शक्ति का संचय नहीं हो सकेगा। संदर्भ सैनिक का जो समाज में जीता है उस व्यक्ति के लिए शक्ति जरूरी है । जो सेना में है और मोर्चे पर बैठा है, उसके लिए शक्ति की और अधिक आवश्यकता है । वह केवल अपने लिए ही शक्ति का संवर्धन नहीं करता, किन्तु समूचे राष्ट्र के हितों की सुरक्षा के लिए अपनी शक्ति को बढ़ाना चाहता है। लोग यही मानते हैं कि शक्ति को बढ़ाने का साधन है पौष्टिक भोजन, आसन व्यायाम आदि । किंतु जब तक मन की उलझनों को मिटाने या आवेगों पर नियंत्रण करने का उपाय हस्तगत नहीं होता, तर तक शक्ति का विकास जितना चाहिए उतना नहीं होता। इसलिए आज सबसे बड़ी मांग है कि सैनिक भी ध्यान में प्रवेश करें। एक सैनिक के लिए अनुशासन आवश्यक होता है, एकाग्रता और अभयवृत्ति आवश्यक होती है। इसी प्रकार उसके लिए निराशाओं और घरेलू चिन्ताओं से मुक्त होने की आवश्यकता होती है । केवल शरोर से शक्तिशाली आदमी चिन्ताओं से मुक्त नहीं हो सकता, विषाद और निराशा से मुक्त नहीं हो सकता। वह मन की उलझनों से भी मुक्त नहीं हो : सकता। अकेला नहीं है सैनिक सैनिक समाज का प्राणी है, समाज का अंग है । वह आकाश से नहीं उतरा है । वह आकाश में नहीं रहता । वह उस धरती पर रहता है, जिस पर सब लोग रहते हैं। वह संन्यासी नहीं होता। उसका भी अपना परिवार होता है । जब परिवार होता है तब परिवार के साथ जुड़ी हुई समस्याओं से भी वह जुड़ा हुआ होता है । वह समस्याओं से मुक्त नहीं होता। उसकी अपने मन की समस्याएं भी होती हैं । थोड़ा-सा कुछ होता है तो उसके मन पर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003056
Book TitleChitt aur Man
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages374
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size16 MB
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