SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 86
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चित्त और मन की संख्या बहुत अधिक है कहते हैं कि वहां पैंतालीस प्रतिशत व्यक्ति मानसरोगी है। भौतिक दृष्टि से यद्यपि भारत काफी पिछड़ा देश है पर मानसिक रोगियों की संख्या यहां पन्द्रह प्रतिशत ही है । कारण इसका स्पष्ट है कि यहां मानसिक तनाव उतना नहीं है । शहरी सभ्यता के साथ-साथ मानसिक द्वन्द्व भी बढ़ते हैं। गांवों में यह स्थिति कम रहती है । यद्यपि वहां खान-पान रहन-सहन अत्यन्त साधारण है, फिर भी ग्रामीण लोग शहरी लोगों की अपेक्षा अधिक स्वस्थ रहते हैं, क्योंकि उनके मानसिक तनाव अत्यन्त अल्प होते हैं । आजकल तनाव शब्द बहुप्रचलित हो गया है । उद्योगीकरण जितना बढ़ रहा है, मानसिक तनाव भी उतने ही बढ़ रहे हैं। एक बार जापान के सहायक राजदूत आचार्यश्री के पास आए । आचार्यश्री ने उनसे प्रश्न किया, 'क्या आप भी कभी शिथिलीकरण - कायोत्सर्ग करते हैं ? उन्होंने बताया, 'हमारे देश में तो कायोत्सर्ग बहुत प्रचलित है।' इसी प्रकार अमेरिका तथा जर्मनी के विशेषज्ञों ने भी बताया- कायोत्सर्ग के बिना हमारे देश में तो जीना भी बहुत कठिन है । जापान में विश्वविद्यालय से निकलने वाले अधिकांश विद्यार्थियों को छह महीने के लिए एकांत में इसका प्रशिक्षण लेना आवश्यक होता है । उसके बाद ही वे कर्मक्षेत्र में उतरते हैं । यही कारण है कि वहां के लोग बहुत परिश्रमी होते हैं । उन्होंने बताया -- भारतीय बोलते अधिक हैं तथा काम कम करते हैं । इसका प्रमुख कारण यही है कि यहां के लोग कायोत्सर्ग नहीं करते । इसलिए इनमें अनुशासन का भाव भी कम होता है । यह सच है कि श्रम से तनाव बढ़ता है । यह भी सच है कि शारीरिक श्रम से उतना तनाव नहीं बढ़ता जितना मानसिक उलझनों से बढ़ता है । और वे मानसिक उलझनें शरीर की अस्वस्थता का मुख्य कारण बनती हैं। समाधान है कायोत्सर्ग ७० मानसिक तनाव के और भी अनेक कारण हैं पर उनके प्रतिकार का जो साधन है, वही साधना है । कायोत्सर्ग इसका प्रमुख साधन है । मन को सरल बनाए बिना मानसिक उलझन कभी नहीं मिट सकती । सरल बनाना स्नायविक तनाव से मुक्ति पाने का प्रथम सोपान है । दूसरे शब्दों में ग्रंथिमोक्ष कहा जा सकता है । मन को इसे ही प्रेक्षध्या शिविर में अभ्यास करने वाले लोग दवाइयों की आदत से मुक्त हो जाते हैं । उनकी भयंकर बीमारियां मिट जाती हैं । प्रश्न हो सकता है कि ये बीमारियां कैसे मिट जाती हैं ? ? इसका कारण है— सारी बीमारियां शरीर की बीमारियां नहीं है, वे साइकोसोमेटिक – मनोकायिक बीमारियां हैं । मन से पैदा होने वाली हिंसा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003056
Book TitleChitt aur Man
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1990
Total Pages374
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy